
उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध और बलात्कार पिछले पांच सालों में लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं. विधानसभा चुनाव के पहले यह टिप्पणी किसी विपक्षी दल के नेता नहीं बल्कि सीएजी (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में की है. CAG की रिपोर्ट मंगलवार को विधानसभा में पेश की गई.
साल 2011 से 2015 तक के आंकड़े
सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है 2011 से 2015 के बीच में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 61 फीसदी की वृद्धि हुई है. 2013-14 में उत्तर प्रदेश में बलात्कार की घटनाओं में इसके पहले साल की तुलना में 43 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और महिलाओं और लड़कियों के अपहरण जैसे अपराध 21 फीसदी बढे.
पुलिस की भारी कमी से जूझ रहा राज्य
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में आगाह किया है यूपी में पुलिस की भारी कमी है और पुलिस में महिलाओं की संख्या तो 5 प्रतिशत से भी कम है जब यह 33 प्रतिशत होनी चाहिए. सीएजी ने कहा है कि अगर राज्य में पुलिस की 55 प्रतिशत की भारी कमी को फौरन पूरा नहीं किया जाता तो महिलाओं के खिलाफ अपराध की हालत और भी बदतर हो सकती है.
महिला और पुरुषों में है गैर बराबरी
रिपोर्ट में कहा गया है की गांवों में पुरुष और महिला के मजदूरी में 73 प्रतिशत तक का फर्क है. रिपोर्ट में इस बात पर भी खेद जताया गया है यूपी में अभी भी ज्यादातर बच्चों का जन्म अस्पताल के बजाय घरों में होता है. पिछले 5 सालों में उत्तर प्रदेश में कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या भी बढ़ी है. उत्तर प्रदेश विधानसभा का सत्र सोमवार से शुरू हुआ है और बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष ने पहले से ही हमलावर तेवर अपनाया हुआ है. ऐसे में महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर सीएजी की टिप्पणी अखिलेश यादव सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकती है.