
टाटा ग्रुप में मतभेदों के मामले को आदालत में ले जाने की खबरों का साइरस मिस्त्री ने खंडन किया है. साइरस मिस्त्री के ऑफिस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उन्होंने कोई कैविएट दाखिल नहीं की है. हालांकि, टाटा की ओर से सुप्रीम कोर्ट, बॉम्बे हाई कोर्ट और NCLT में साइरस मिस्त्री को अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ कोई कदम उठाने से रोकने के लिए कैविएट दायर किया गया है.
साइरस मिस्त्री के ऑफिस से जानकारी दी गई है कि साइरस ने कोई कैविएट फाइल नहीं की है. मिली जानकारी के मुताबिक टाटा ने मिस्त्री की ओर से किसी लीगल एक्शन के मद्देनजर कैविएट दाखिल की है.
इससे पहले खबरें आई थीं कि मिस्त्री ने रतन टाटा, टाटा सन्स और सर दोराबजी ट्रस्ट के खिलाफ दायर की है. एक कैविएट साइरस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड की ओर से रतन टाटा और टाटा सन्स के खिलाफ दाखिल की गई है, हालांकि बाद में साइरस की ओर से इसका खंडन कर दिया गया.
मंगलवार को टाटा सन्स के अंतरिम चेयरमैन बने रतन एन टाटा ने टाटा की कंपनियों को अपने-अपने बाजार में लीडर के तौर पर काम करने की सलाह दी है, ताकि शेयरहोल्डरों का रिटर्न बढ़ाया जा सके. टाटा कंपनियों के सीनियर अधिकारियों और मैनेजिंग डायरेक्टर के साथ मीटिंग में रतन टाटा ने कहा, 'कंपनी को अपने गुजरे वक्त से तुलना करने की बजाए, मौजूदा वक्त में अपनी मार्केट पोजिशन पर ध्यान देना चाहिए.'
रतन टाटा ने कहा, 'मैं आप लोगों के साथ काम करने के लिए उत्साहित हूं क्योंकि हम पहले भी साथ काम कर चुके हैं. मुझे आप सभी पर गर्व है और आइए ग्रुप की बेहतरी के लिए फिर साथ में काम करें.' रतन टाटा ने कंपनी के प्रमुखों से कहा कि लीडरशिप में हो रहे बदलाव की चिंता किए बगैर बिजनेस और मुनाफे पर ध्यान दिया जाना चाहिए. टाटा ने फिर ये बात दोहराई कि उन्होंने अंतरिम चेयरमैन का पद स्थायित्व बरकरार रखने के लिए संभाला है और जल्द ही नए चेयरमैन की नियुक्ति हो जाएगी.
सोमवार को कंपनी बोर्ड ने साइरस पी मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया और रतन टाटा को चार महीनों के लिए अंतरिम चेयरमैन नियुक्त किया. नए चेयरमैन के चुनाव के लिए एक चयन समिति बनाई गई. इस समिति में रतन एन टाटा, वेनु श्रीनिवासन, अमित चंद्रा, रोनेन सेन और लॉर्ड कुमार भट्टाचार्य शामिल हैं. समिति को नया अध्यक्ष चुनने के लिए चार महीनों को वक्त दिया गया है.
साइरस को पद से हटाने की खबर आते ही ये चर्चा होने लगी थी कि अब यह मामला कोर्ट तक पहुंच सकता है. बताया गया था कि बोर्ड के इस फैसले से कंपनी की सबसे बड़ी शेयरहोल्डर फर्म शपूरजी पलोनजी नाराज है.