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केजरीवाल के इस सिपाही ने हैक कर दिखाई थी EVM, जिसके बाद EC ने करवाया हैकाथॉन

Delhi Elections 2020: आम आदमी पार्टी में केजरीवाल का एक सिपाही ऐसा भी है जिसने दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में ईवीएम जैसी मशीन को हैक कर मनचाहा परिणाम लाकर दिखा दिया था. इस घटना के बाद चुनाव आयोग को ईवीएम पर सफाई भी देनी पड़ी थी.

राजनीति में आने से पहले कई कंपनियों में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी कर चुके हैं सौरभ (फाइल फोटो) राजनीति में आने से पहले कई कंपनियों में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी कर चुके हैं सौरभ (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 7:27 AM IST

  • अरविंद केजरीवाल की पहली सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे थे सौरभ भारद्वाज
  • सौरभ ने अपने करियर की शुरुआत सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर की थी

दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने ईवीएम की तरह दिखने वाली एक मशीन की हैकिंग का डेमो दिखाकर भूचाल ला दिया था. केजरीवाल की 49 दिनों वाली सरकार में मंत्री रहे सौरभ भारद्वाज का अब तक का राजनीतिक सफर सामान्य ही रहा है. लेकिन पिछले काफी दिनों से वे केजरीवाल के आस-पास ही नजर आ रहे हैं.

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रेप की एक घटना ने सौरभ को इंजीनियरिंग से वकालत की तरफ बढ़ाया

राजनीति में आने से पहले सौरभ भारद्वाज एक इंजीनियर थे. भारद्वाज का जन्म 12 दिसंबर 1979 को दिल्ली में हुआ और शुरुआती पढ़ाई भी उन्होंने इसी शहर में की. सौरभ ने 2003 में गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त भारत विद्या पीठ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की है.

जब भारद्वाज एक निजी फर्म में काम कर रहे थे तब 2005 में एक लड़की से बलात्कार की घटना हुई. जिसके बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई की और कानूनी सहायता देकर गरीबों की मदद करने लग गए. सौरभ ने 2011 में ओस्मानिया यूनिवर्सिटी से अपनी एलएलबी की पढ़ाई पूरी की है.

माइक्रोचिप और कोडिंग के मास्टरमाइंड रहे हैं भारद्वाज

आप से जुड़ने से पहले सौरभ जॉनसन कंट्रोल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड गुरूग्राम (गुड़गांव) में नौकरी करते थे. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एनवेसिस नाम की कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर की थी. भारद्वाज यूएस और यूके में भी काम कर चुके हैं. वो माइक्रोचिप्स और कोडिंग के विशेषज्ञ रहे हैं.

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ग्रेटर कैलाश से चुनावी मैदान में उतरे हैं सौरभ भारद्वाज

परिवहन मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं सौरभ

राजनीति में आने के साथ ही सौरभ ने आम आदमी पार्टी की तरफ से ग्रेटर कैलाश से 2013 में विधानसभा चुनाव लड़ा और जीते भी. 2013 में सौरभ ने बीजेपी नेता वीके मल्होत्रा के बेटे अजय कुमार मल्होत्रा को 13 हजार 92 वोटों से हराया था. इसके बाद सौरभ अरविंद केजरीवाल की पहली सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने. लेकिन वह सरकार केवल 49 दिन ही चल पाई. सौरभ ने उस सरकार में 28 दिसंबर 2013 से 14 फरवरी 2014 तक परिवहन मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाली.

दूसरी सरकार में केजरीवाल ने नहीं दी कैबिनेट में जगह

2015 के विधानसभा चुनावों में सौरभ भारद्वाज ने बीजेपी उम्मीदवार राकेश गुलिया को 14 हजार पांच सौ तिरासी वोटों से हराया. अपनी दूसरी पारी में केजरीवाल ने भले ही सौरभ को अपनी कैबिनेट में जगह नहीं दी लेकिन सौरभ के कामों ने उन्हें लगातार सुर्खियों में रखा. चुनाव जीतने के बाद सौरभ ने पार्टी नेता के तौर पर काम किया. सौरभ दिल्लीवासियों और खासतौर पर अपने क्षेत्र के लिए हमेशा उपलब्ध रहे. यही वजह है कि आम आदमी पार्टी ने इस बार भी उनको ग्रेटर कैलाश से चुनावी मैदान में उतारा है.

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धरने के समय सौरभ ने भी बटोरी थीं सुर्खियां

जनवरी 2014 में जब रेल भवन के बाहर धरने पर बैठे आम आदमी पार्टी के विधायक को पुलिसवालों ने पीटा था, तभी सौरभ भारद्वाज को गिरफ्तार भी कर लिया गया था. उस समय सौरभ खूब सुर्खियां बटोरी. हिरासत में लेने के कुछ देर बाद तत्कालीन परिवहन मंत्री सौरभ भारद्वाज को दिल्‍ली पुलिस ने छोड़ दिया था. मजे की बात यह रही कि पुलिस ने इस बात से इनकार कर दिया था कि उमने परिवहन मंत्री को हिरासत में लिया था. पुलिस के मुताबिक वो खुद आकर बैठ गए थे.

सौरभ भारद्वाज के इस काम ने उन्हें पूरे देश में दिलाई थी पहचान

सौरभ भारद्वाज 9 मई 2017 को दिल्ली विधानसभा की कार्यवाही में एक ईवीएम मशीन और रिजल्ट दिखाने वाली मशीन साथ लेकर पहुंचे थे. हालांकि दोनों ही यंत्र असली नहीं थे बल्कि उनके जैसे डेमो थे. भारद्वाज ने विधानसभा में तीन बार मशीन के जरिए सभी पार्टियों को दो-दो वोट दिए. (पहली दो बार का डमी मतदान था, जैसे एजेंटों के सामने चुनाव में होता है ठीक वैसा ही. यह इसलिए था ताकि लोगों को लग जाए कि मशीन सही है.) पहले दो बार में मशीन ने वही रिजल्ट दिखाए, जिस तरह वोट दिए गए थे. लेकिन तीसरी बार में मशीन से वो रिजल्ट नहीं मिले, जिस संख्या में वोट दिए गए थे.

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तीसरे डेमो में सौरभ ने आम आदमी पार्टी को 10 वोट दिए थे, जबकि बीजेपी के सामने वाला बटन तीन बार दबाया था. जब उन्होंने रिजल्ट दिखाए तो वो चौंकाने वाले थे. रिजल्ट में बीजेपी को 11 वोट मिले. जबकि उसे सिर्फ 3 वोट ही पड़े थे. इस घटना के बाद चौतरफा घिरे चुनाव आयोग ने पहले एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी और उसके बाद उसने एक EVM हैकाथॉन भी करवाया था. हालांकि उस ईवीएम हैकिंग चैलेंज से आप ने किनारा कर लिया था.

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