
दिल्ली की स्टाइलिश नेताओं की लिस्ट में शुमार अलका लांबा हाल ही में यू-टर्न लेकर वापस अपने घर यानी कांग्रेस में आ चुकी है. एक तरीके से कहें तो 12 अक्टूबर 2019 को उनकी 'घर वापसी' हो गई थी. अलका लांबा को कांग्रेस ने चांदनी चौक विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है.
अलका लांबा का जन्म 21 सितंबर 1975 को दिल्ली के एक परिवार में हुआ था. अलका ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के दयाल सिंह कॉलेज और सेंट स्टीफंस कॉलेज से पढ़ाई की है. इसके अलावा उन्होंने बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से कमेस्ट्री में एमएससी भी किया है. अलका ने लोकेश कपूर से शादी की थी लेकिन 2003 में दोनों के बीच अलगाव हो गया. अलका का एक बेटा है, जिसका नाम ऋतिक है.
विवादों से रहा है अलका लांबा का पुराना नाता
बीजेपी विधायक ओपी शर्मा से झड़प से लेकर दिल्ली की एक शॉप में तोड़फोड़ के साथ ही राजीव गांधी पर दिल्ली विधानसभा में आप द्वारा लाए गए प्रस्ताव के विरोध में खड़े होने के साथ ही लांबा कई विवादों से जुड़ी रही हैं. अलका लांबा 2012 में उस वक्त सुर्खियों में आई थीं, जब उन्होंने गुवाहाटी छेड़छाड़ मामले में पीड़िता का नाम सार्वजनिक कर दिया था. इसके लिए उन्हें सजा भी हुई थी.
अलका लांबा पर 2015 में यह आरोप लगा था कि उन्होंने 9 अगस्त के दिन बीजेपी विधायक ओम प्रकाश शर्मा की दुकान में अनधिकृत तौर पर प्रवेश किया और कैश बिल मशीन को फेंक दिया था. इसके साथ ही उन पर यह भी आरोप लगा था कि उन्होंने काउंटर में तोड़फोड की और पुलिसकर्मियों के काम में बाधा पहुंचाई थी.
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इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का भारत रत्न सम्मान वापस लेने संबंधी आप विधायकों के विधान सभा में पेश कथित प्रस्ताव का विरोध करने की वजह से भी अलका का नाम सुर्खियों में आया था. लांबा के इस कदम से पार्टी नेतृत्व काफी खफा हो गया था. इसी घटना के बाद केजरीवाल ने उन्हें ट्विटर पर अनफॉलो भी कर दिया था.
अलका के एनजीओ ने भी बटोर रखी हैं सुर्खियां
अलका लांबा समानता और मानवाधिकार मुद्दों पर एक सक्रिय तौर पर काम करती रही हैं. लांबा ने 'गो इंडिया फाउंडेशन' नाम से एक एनजीओ भी चला रखा है. अलका का यह एनजीओ पहली बार 2015 में चर्चा में आया था. उस साल इस एनजीओ के माध्यम से 15 अगस्त के दिन एक साथ 65 हजार लोगों ने रक्तदान किया था. इस अभियान को बॉलीवुड की मशहूर हस्तियों सलमान खान, रितेश देशमुख और दीया मिर्जा की ओर से भी खूब सर्मथन मिला था.
19 साल की उम्र में राजनीति में रखा था कदम
आपको बता दें कि लांबा ने छात्र रातनीति के जरिए सार्वजनिक जीवन में कदम रखा था. लांबा सिर्फ 19 साल की थीं जब 1994 में उन्होंने कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई ज्वाइन की थी. उस वक्त वे बीएससी सेकंड ईयर की छात्रा थीं. एक साल बाद 1995 में लांबा ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ा और बड़े मार्जिन के साथ जीत हासिल की. 1997 में एनएसयूआई की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनीं.
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20 साल का रिश्ता तोड़ आप गई थीं अलका
2002 में अलका भारतीय महिला कांग्रेस की महासचिव नियुक्त की गईं. 2003 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में अलका लांबा ने मोती नगर सीट से बीजेपी नेता मदन लाल खुराना के सामने चुनाव लड़ा था लेकिन हार गई थीं. 2006 में अलका अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (AICC) की सदस्य बनीं और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति (DPCC) के महासचिव के तौर पर नियुक्त की गईं. वह 2007 से 2011 तक अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (AICC) की सचिव भी रह चुकी हैं. दिसंबर 2014 में अलका ने कांग्रेस छोड़ आप का दामन थाम लिया था.
लंबा नहीं रहा लांबा का आप में सफर
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी में शामिल होने से पहले अलका 20 साल कांग्रेस में रह चुकी थीं. फरवरी 2015 में, लांबा ने आप के टिकट पर चांदनी चौक विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी, बीजेपी के सुमन कुमार गुप्ता को 18 हजार 287 मतों के अंतर से हराया था. लेकिन विधायक बनने के कुछ ही वक्त बाद आप नेतृत्व से उनकी दूरियां और मतभेद बढ़ने लगे. जिस वजह से 6 सितंबर को उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला ले लिया.
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12 अक्टूबर को अलका ने कांग्रेस में की घर वापसी
06 सितंबर 2019 को 'आप' छोड़ने के कुछ घंटों बाद ही लांबा ने घोषणा कर दी थी कि वह कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर उनकी मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल होंगी. जिस वजह से लांबा को दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने दलबदल के आधार पर 19 सितंबर को अयोग्य घोषित कर दिया था. बाद में पी सी चाको की उपस्थिति में लांबा ने 12 अक्टूबर 2019 को कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की.