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मैरिटल रेप पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

इससे पहले पुरानी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रखने की मांग संबंधी याचिका पर केंद्र ने हाई कोर्ट को कहा है कि सरकार धारा 375 में संशोधन करने के पक्ष में नहीं है.

दिल्ली हाई कोर्ट दिल्ली हाई कोर्ट
सुरभि गुप्ता/पूनम शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 19 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 5:35 AM IST

मैरिटल रेप को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की गई दो नई याचिकाओं पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है कि वो अपना पक्ष साफ करे. दरसअल याचिकाओं में इंडियन पीनल कोड की धारा 375, 376 बी को चुनौती दी गई है. कुछ महिला संगठनों और महिलाओं ने उस कानून में बदलाव की मांग की है, जिसमें पति के जबरन शारीरिक संबंध बनाने पर पत्नी रेप का केस दर्ज नहीं करा सकती.

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पुरुषों के पक्ष में ये है दलील

याचिकाकर्ता का तर्क है कि आखिर कैसे महिलाओं के खिलाफ हिंसा को कानूनन इजाजत दी जा सकती है. जबकि कुछ एनजीओ पुरुषों के पक्ष में भी कोर्ट में इस मामले में समर्थन करने के लिए खड़े हो गए हैं. उनका कहना है कि अगर कानून में बदलाव किए गए और पति के खिलाफ भी रेप के मुकदमे दर्ज होने लगे तो इससे परिवार टूट सकते हैं. हालांकि कोर्ट ने कहा कि बहुत से शादीशुदा लोग भी रेपिस्ट हैं, क्या आपके पास कोई आंकड़ा है कि कितने लोग ऐसे हैं जिन्होंने शादीशुदा होने के बाद भी रेप किया है?

कानून में संशोधन के पक्ष में नहीं है केंद्र

इससे पहले पुरानी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रखने की मांग संबंधी याचिका पर केंद्र ने हाई कोर्ट को कहा है कि सरकार धारा 375 में संशोधन करने के पक्ष में नहीं है. केंद्र ने कहा है कि लॉ कमीशन भी इसके पक्ष में नहीं है. दिल्ली हाई कोर्ट में अपने दिए गए हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि लॉ कमीशन की 84वीं रिपोर्ट से साफ है कि अगर कोई पति अपनी 15 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ सेक्स करता है तो ही उसे मैरिटल रेप की कैटेगरी में रखा जा सकता है.

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केंद्र को अपना पक्ष साफ करने का आदेश

मैरिटल रेप को लेकर मंगलवार को लगाई गई दो नई याचिकाओं पर हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सरकार को अपना पक्ष साफ करने को कहा है, जिसमें याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया गया था कि IPC की धारा 375 (बलात्कार) में 2013 में किया गया संशोधन गलत है और यह भारतीय दंड संहिता की धारा 377 (अप्राकृतिक संबंधों) से मेल नहीं खाता.

IPC की धारा 375 में एक अपवाद

याचिका में यह आरोप लगाते हुए एक कानूनी मुद्दा उठाया गया है कि IPC के दोनों दंड प्रावधानों में अनिश्चितता है क्योंकि IPC की धारा 375 में एक अपवाद है कि किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी, जिसकी उम्र 15 साल से कम ना हो, के साथ यौन संबंध या यौन गतिविधियां बलात्कार नहीं है.

कानूनी अनिश्चितता खत्म करने की अपील

याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा है कि कोर्ट कानूनी अनिश्चितता को खत्म करे, जो पति और पत्नी के अपने-अपने अधिकारों का उल्लंघन कर रही है. याचिकाकर्ता अपनी पत्नी की शिकायत पर अप्राकृतिक सेक्स के कथित अपराध के लिए मुकदमे का सामना कर रहा है. इस व्यक्ति ने 2013 में 20 साल की एक लड़की से शादी की थी, जिसने बाद में उसके खिलाफ बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के कथित अपराध के लिए मामला दर्ज कराया था.

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28 अगस्त को होगी अगली सुनवाई

निचली अदालत ने उसे पत्नी से बलात्कार के आरोप से मुक्त कर दिया था, लेकिन अप्राकृतिक सेक्स के आरोप में मुकदमा जारी रखा था. व्यक्ति को जनवरी 2015 में उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में इस उम्र को 15 से बढ़ाकर 18 साल करने को लेकर लगाई गयी याचिका पर सुनवाई चल रही है. कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई 28 अगस्त को करेगा.

 

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