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'मैरिटल रेप' को अपराध की श्रेणी मे रखने के पक्ष में नहीं केंद्र सरकार, HC में दिया हलफनामा

दिल्ली हाई कोर्ट मे दिए गए हलफनामे मे केंद्र सरकार ने कहा है कि लॉ कमीशन की 84वीं रिपोर्ट से साफ है कि अगर कोई पति अपनी 15 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ सेक्स करता है तो ही उसे मैरिटल रेप की कैटेगरी मे रखा जा सकता है.

दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में केंद्र से अपना पक्ष साफ करने को कहा था दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में केंद्र से अपना पक्ष साफ करने को कहा था
पूनम शर्मा/रोहित गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 30 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 9:58 AM IST

मैरिटल रेप को अपराध की क्षेणी में रखने की मांग संबंधी याचिका पर केंद्र ने हाई कोर्ट को कहा है कि सरकार धारा 375 में संशोधन करने के पक्ष मे नहीं है. केंद्र ने कहा है कि लॉ कमीशन भी इसके पक्ष मे नहीं है.

दिल्ली हाई कोर्ट मे दिए गए हलफनामे मे केंद्र सरकार ने कहा है कि लॉ कमीशन की 84वीं रिपोर्ट से साफ है कि अगर कोई पति अपनी 15 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ सेक्स करता है तो ही उसे मैरिटल रेप की कैटेगरी मे रखा जा सकता है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट मे इस उम्र को 15 से बढ़ाकर 18 साल करने को लेकर लगाई गई याचिका पर सुनवाई चल रही है.

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पिछली सुनवाई पर हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिका पर सरकार को अपना पक्ष साफ करने को कहा था जिसमें याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया गया था कि IPC की धारा 375 (बलात्कार) में 2013 में किया गया संशोधन गलत है और यह भारतीय दंड संहिता की धारा 377 (अप्राकृतिक संबंधों) से मेल नहीं खाता.

याचिका में यह आरोप लगाते हुए एक कानूनी मुद्दा उठाया गया है कि IPC के दोनों दंड प्रावधानों में अनिश्चितता है क्योंकि IPC की धारा 375 में एक अपवाद है कि किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी, जिसकी उम्र 15 साल से कम न हो के साथ यौन संबंध या यौन गतिविधियां बलात्कार नहीं है.

पत्नी ने दर्ज कराया था अप्राकृतिक सेक्स करने का केस दर्ज
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को उन कानूनी अनिश्चितताओं को खत्म करने को कहा है, जो पति और पत्नी के अपने-अपने अधिकारों का उल्लंघन कर रही है. याचिकाकर्ता अपनी पत्नी की शिकायत पर अप्राकृतिक सेक्स के कथित अपराध के लिए मुकदमे का सामना कर रहा है. इस व्यक्ति ने 2013 में 20 साल की एक लड़की से शादी की थी जिसने बाद में उसके खिलाफ बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के कथित अपराध के लिए मामला दर्ज कराया था.

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निचली अदालत ने रेप के आरोप से किया था मुक्त
निचली अदालत ने उसे पत्नी से बलात्कार के आरोप से मुक्त कर दिया था, लेकिन अप्राकृतिक सेक्स के आरोप में मुकदमा जारी रखा था. व्यक्ति को जनवरी 2015 में उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई थी.

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