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दिल्ली हाईकोर्ट ने 98 प्राइवेट स्कूलों को 10 दिनों के भीतर अभिभावकों से ली हुई बढ़ी फीस कोर्ट में जमा कराने का आदेश दिया है. प्राइवेट स्कूलों को ये फीस दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के दफ्तर में जमा करानी होगी.
फीस की ये रकम करीब 100 करोड़ से ऊपर है. इसमें से 75 फीसदी 10 दिन में जमा कराने का आदेश दिया है. कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों से कहा है कि वो कैश, एफडी या ड्राफ्ट के रूप में ये पैसा जमा करा सकते हैं.
स्कूल ने वसूली मनमानी फीस
दरअसल, 2006 से 2009 तक 32 महीने की फीस मनमाने ढंग से वसूली गई. ऐसा करने वाले करीब एक हजार प्राइवेट स्कूलों की जांच के लिए 2011 में हाई कोर्ट ने अनिल देव कमेटी का गठन किया था.
अभिभावकों को लौटाएं फीस
पिछले 6 साल में अनिल देव कमेटी अपनी 11 रिपोर्ट कोर्ट को सौंप चुकी है, जिसमें कहा गया है कि प्राइवेट स्कूलों ने जरूरत न होने पर भी अपने स्कूल में फीस बढ़ाई है. कोर्ट ने ये 32 महीने (2006 से 2009 तक) की बढ़ी हुई फीस 9 फीसदी ब्याज सहित अभिभावकों को लौटाने का निर्देश स्कूलों को दिया था. लेकिन अब तक 15-20 स्कूलों ने ही ये फीस कोर्ट में जमा कराई है.
स्कूलों को कर सकते हैं टेक ओवर
दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को अपने हलफनामे में प्राइवेट स्कूलों द्वारा अभिभावकों को बढ़ी हुई फीस वापस न करने की सूरत में दिल्ली सरकार ने 449 स्कूलों को टेक ओवर करने की बात कही थी.
सरकार अपने हाथ में लेगी स्कूलों का प्रबंधन
केजरीवाल सरकार ने कहा कि अगर स्कूल फीस वापस नहीं करेंगे तो 449 निजी स्कूलों का प्रबंधन अपने हाथों में लेगी. सरकार ने हाई कोर्ट में कहा है कि पैसा नहीं लौटाने वाले इन सभी प्राइवेट स्कूलों का प्रबंधन अपने हाथों में लेने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और इसे मंजूरी के लिए उपराज्यपाल के पास भेज दिया गया है.
टेक ओवर से सहमत नहीं हाई कोर्ट
हांलाकि, हाईकोर्ट ने सरकार के प्राइवेट स्कूलों को टेक ओवर करने के इरादे पर भी सवाल खड़े कर दिए है. कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि जब सरकारी स्कूलों को ही ठीक से चलाने के लिए आपके पास स्टाफ नहीं है तो इतनी बड़ी संख्या में प्राइवेट स्कूलों को आप टेक ओवर कर कैसे चलाएंगे. मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी.