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रामदेव-श्रीश्री-बुखारी को एक मंच पर लाएगी मोदी सरकार, प्रमोट करेंगे अंगदान

योग गुरु और उद्यमी बाबा रामदेव, रहस्यवादी सद्गुरु जग्गी वासुदेव, आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर, दिल्ली जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी, ईसाई व सिख धर्म के प्रतिनिधियों सहित अन्य लोग इसमें भाग लेंगे.

10 आध्यात्मिक गुरु एक मंच पर 10 आध्यात्मिक गुरु एक मंच पर
केशवानंद धर दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 06 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 3:25 PM IST

भारतीय मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और यूरोलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया (यूएसआई) के सहयोग से केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय अक्टूबर में राष्ट्रीय अंग दान जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन करेगा. यहां मंत्रालय जीवन बचाने के रास्ते में खड़ी बाधाओं और मिथ्या को तोड़ने के लिए 10 आध्यात्मिक धर्म गुरुओं को एक मंच के तहत लाएगा. जहां बड़े पैमाने पर उन्हें अपने शरीर के अंग दान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

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ये गुरु होंगे शामिल

योग गुरु और उद्यमी बाबा रामदेव, रहस्यवादी सद्गुरु जग्गी वासुदेव, आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर, दिल्ली जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी, ईसाई व सिख धर्म के प्रतिनिधियों सहित अन्य लोग इसमें भाग लेंगे. बता दें कि भारत में अंगों की मांग और आपूर्ति में काफी अंतर है.

अंग दान के लिए किए जा रहे जागरूकता कार्यक्रम

दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ अनूप कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय अंग दान के लिए जागरूकता कार्यक्रमों पर लगातार काम कर रहा है. यह पहली बार है कि हम 'धर्म गुरुओं' के जरिए अंगों को दान करने के लिए संदेश दे रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इस राष्ट्रीय अंग दान जागरूकता कार्यक्रम का चेहरा होने की संभावना है.'

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अंग दान को लेकर लोगों में गलत धारणाएं

यूएसआई के राष्ट्रीय संयोजक डॉ कुमार ने कहा कि लोगों में अंग दान को लेकर गलत धारणाएं हैं. लोग अब भी सोचते हैं कि यदि वे एक अंग दान करेंगे, तो अगले जन्म में उस अंग के बिना पैदा होंगे. लोग मृत्यु के बाद भी शरीर की विकृति से डरते हैं. उन्होंने कहा कि लोगों के मन को साफ करने की आवश्यकता है और यह उनके धार्मिक गुरुओं को शामिल करके समुदाय स्तर पर किया जाना चाहिए.

ब्रेन डेड व्यक्ति बचा सकता है सात लोगों की जान

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि एक ब्रेन डेड व्यक्ति कम से कम सात लोगों की जान बचा सकता है और किसी भी बड़े शहर में एक समय में 10 ब्रेन डेड व्यक्ति आईसीयू में भर्ती किए जाते है.

20 लाख मरीज़ों को अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता

देश में करीब 20 लाख मरीज हैं जिनके लिए अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता है. करीब 2 लाख किडनी के रोगियों को गुर्दा प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है, लेकिन केवल 5000 मरीज अंग प्राप्त कर पाते हैं. इसी तरह, लगभग 50 हजार हृदय रोगियों को हर साल प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है. लेकिन 24 वर्षों में महज 350 सर्जरी की गई हैं. डॉक्टरों का कहना है कि हर साल वे सड़क दुर्घटनाओं में करीब 90 हजार मामले देखते हैं, जहां पीड़ित ब्रेन डेड का शिकार होते हैं.

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