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HC: मेनहॉल में गिरकर मरे बच्चे के परिजन को 10 लाख का मुआवजा दे सरकार

दिल्ली में 3 साल पहले मेनहॉल में गिरकर 11 साल के बच्चे की मौत के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए सरकार से मृतक की मां को 4 हफ्ते के अंदर 10 लाख रुपए मुआवजे को तौर पर देने को कहा है.

फाइल फोटो फाइल फोटो
पूनम शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 04 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 12:14 AM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने दक्षिण दिल्ली के मिलेनियम पार्क में सड़क पर खुले मेनहॉल में गिरकर 11 साल के बच्चे की मौत के मामले में मृतक की मां को 10 लाख रुपए बतौर मुआवाजा देने का दिल्ली सरकार को आदेश दिया है.

हाईकोर्ट ने कोर्ट के रजिस्ट्रार को निर्देश दिया है कि चार सप्ताह के भीतर मृतक के मां को मुआवजा सरकार की ओर से दिलवाना सुनिश्चित किया जाए.

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मामला 21 दिसंबर 2015 का है जब ललिता पार्क सीनियर सेकेंडरी स्कूल के छात्र मिलेनियम पार्क में पिकनिक मनाने गए थे. कक्षा छह का छात्र लावांश पार्क के बाहर खुले मेनहॉल में गिर गया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी.

हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि राज्य सरकार समेत सभी संबंधित एजेंसिया राजधानी में सड़कों पर इस तरह के खुले मेनहॉल का निरीक्षण करे. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस प्रकार के सभी जगहों पर आम लोगों के जाने पर रोक लगाई जाए जहां दुर्घटना होने का खतरा है.

कोर्ट ने सरकार को आदेश देते हुए कहा कि मेनहॉल वाली जगह पर आम लोगों की जानकारी के लिए एक साइन बोर्ड लगाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हो. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि अगर आने वाले दिनों में इस तरह की घटनाएं होती है तो संबंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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नवंबर 2015 में हुई इस घटना पर दिल्ली हाईकोर्ट ने मीडिया में आई रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए इस मामले पर सुनवाई शुरू की थी. दिल्ली में खासतौर से खुले हुए मेनहोल बरसात के मौसम में दुर्घटनाओं को और बढ़ा देते हैं इसलिए कोर्ट ने खासतौर से निर्देश दिए हैं कि जिस इलाके में यह घटना होगी उस विभाग के अधिकारी के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाएगी.

अक्सर इस तरह की दुर्घटनाओं में पिछले कुछ सालों में कई बच्चों को अपनी जान गवानी पड़ी है. कोर्ट चाहता है कि इस तरह की दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति दोबारा ना हो. मिलेनियम पार्क में अपने बच्चे को खो चुकी मां को 4 हफ्ते में मुआवजा दिलाने की पहल भी पीड़ित परिवार को मदद करने और एजेंसियों को संवेदनशील बनाने की कोशिश का नतीजा है.

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