
दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. राजभवन की ओर से जारी बयान के मुताबिक वो एक बार फिर एकेडमिक्स का रुख करने वाले हैं. मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस रहे नजीब जंग ने जुलाई 2013 में उप राज्यपाल की कुर्सी संभाली थी थी. यूपीए सरकार के वक्त में उप राज्यपाल नियुक्त किए गए नजीब जंग का इस पद पर डेढ़ साल से भी ज्यादा का कार्यकाल बाकी था. ऐसे में उनका अचानक इस्तीफा चौंकाता है.
नजीब जंग ने पीएम, दिल्ली की जनता और दिल्ली के मुख्यमंत्री का शुक्रिया अदा किया है. यहां गौर करने वाली बात है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और उप राज्यपाल के बीच तमाम मुद्दों पर टकराव की वजह से नजीब जंग सुर्खियों में रहे. नजर डालते हैं उप राज्यपाल की ओर से किए गए 10 बड़े फैसलों पर...
1. नवंबर 2016 में एलजी जंग ने सुप्रीम कोर्ट के 15 वकीलों के पैनल की नियुक्ति रद्द करने का फरमान सुनाया. केजरीवाल सरकार ने इन 15 वकीलों को वर्ष 2014 और 2015 में उप राज्यपाल की अनुमति लिए बिना ही नियुक्त किया था.
2. नवंबर 2016 में नजीब जंग ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए 15 साल पुराने डीजल वाहनों के चलने पर रोक लगाने का आदेश जारी किया. इसके अलावा धार्मिक कार्यक्रमों को छोड़कर पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी.
3. अक्टूबर 2016 में नजीब जंग ने विधायकों की स्थानीय क्षेत्र विकास निधि में एक ही बार में 10-10 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी से जुड़ी फाइल केजरीवाल सरकार को लौटा दी. अभी इस निधि के तहत हर साल 4-4 करोड़ रुपये आवंटित किए जाते हैं, जिसे बढ़ाकर 14 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव था.
4. अक्टूबर 2016 में नजीब जंग ने तरुण सीम को डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज के पद से हटा दिया और डॉ. बीना खुराना को यह जिम्मेदारी सौंपी गई. गौरतलब है कि तरुण सीम आम आदमी पार्टी सरकार की बहुचर्चित योजना 'मोहल्ला क्लीनिक के भी प्रभारी थे.
5. नजीब जंग ने सितंबर 2016 में दिल्ली बिजली नियामक आयोग (डीईआरसी) के अध्यक्ष कृष्णा सैनी की नियुक्ति को रद्द कर दिया. इसके लिए उन्होंने नियुक्ति में हुई कानूनी कमियों का हवाला दिया. केजरीवाल सरकार ने बीते मार्च में ही बिना एलजी की अनुमति के सैनी को डीईआरसी के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया था.
6. अगस्त 2016 में नजीब जंग ने दिल्ली सरकार के लिए फैसलों की वैधता की जांच के लिए शुंगलू कमेटी का गठन किया. इस कमेटी में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन गोपालस्वामी और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त प्रदीप कुमार भी शामिल थे. दिल्ली सरकार ने उप राज्यपाल से इस कमेटी को भंग करने का अनुरोध किया जिसे ठुकरा दिया गया.
7. जून 2015: दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा यानी एसीबी में बिहार के पांच पुलिसकर्मियों की नियुक्ति को उपराज्यपाल ने खारिज कर दिया. केंद्र सरकार ने नजीब जंग के इस फैसले को जायज ठहराया तो दिल्ली में सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी की सरकार ने केंद्र और एलजी पर हमला करते हुए कहा कि उसके पास एसीबी के लिए अधिकारियों को लाने की पूरी शक्ति है.
8. जून 2015 में ही नजीब जंग ने अपना प्राधिकार साबित करने के लिए दिल्ली पुलिस के एक संयुक्त आयुक्त मुकेश मीणा को एसीबी का प्रमुख नियुक्त कर दिया जो कि सीएम केजरीवाल की ओर से नियुक्त एसीबी चीफ एसएस यादव के ऊपर होंगे. उपराज्यपाल के आदेश में कहा गया है कि उन्हें एसीबी का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.
9. मई 2015 में उप राज्यपाल नजीब जंग ने संविधान का हवाला देकर कार्यकारी मुख्य सचिव के पद पर शकुंतला गैमलिन की तैनाती कर दी. जंग ने यह फैसला ऐसे वक्त लिया था जब दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव केके शर्मा 10 दिन की छुट्टी पर गए थे.
इस घटनाक्रम के बाद सीएम केजरीवाल ने नजीब जंग को तीन पन्नों की चिट्ठी लिखकर उनपर असंवैधानिक तरीके से कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति करने का आरोप लगाया. जबकि उप राज्यपाल का कहना था कि नियमों के मुताबिक मुख्य सचिव के पद को 35 घंटे से ज्यादा खाली नहीं रखा जा सकता.
केजरीवाल सरकार ने गैमलिन की नियुक्ति से जुड़ा आदेश जारी करने के लिए सेक्रेटरी सर्विसेज अनिंदो मजूमदार को पद से हटा दिया और उनका कामकाज प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार को सौंप दिया. लेकिन इसके करीब एक घंटे बाद ही उप राज्यपाल ने सेक्रेटरी सर्विसेज के बाबत उनसे सलाह न लेने की बात कहकर उन्हें भी पद पर बने रहने के निर्देश दिए.
10. जुलाई 2015 में नजीब जंग ने दिल्ली महिला आयोग में अध्यक्ष के तौर पर स्वाति मालिवाल की नियुक्ति रद्द कर दी. उप राज्यपाल की ओर से कहा गया कि इस मामले में उनके मंजूरी नहीं ली गई थी.