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दिल्ली मेट्रो की कालिंदी कुंज डिपो में शुक्रवार को दो मेट्रो ट्रेनों के आपस में टकराने को भले ही डीएमआरसी छोटी घटना करार दे रही हो, लेकिन सूत्रों की मानें तो डीएमआरसी ने इस घटना को लेकर ट्रेन कमिशनिंग के काम में लगी ट्रेन निर्माता कंपनी के सामने कड़ी आपत्ति जताई है और अपनी जांच शुरु कर दी है. इस घटना से बिना ड्राइवर के मेट्रो को ट्रैक पर उतारने की योजना को बड़ा झटका माना जा रहा है.
दो ट्रेनों के आपस में टकराने की तस्वीरें मीडिया में सामने आने के बाद दिल्ली मेट्रो ने जो बयान जारी किया था, उसमें कहा था कि ये कोई बड़ी घटना नहीं है और कमिशनिंग कर रही कंपनी रोटेम के स्टाफ की लापरवाही से ये हादसा हुआ था. लेकिन इस घटना से डीएमआरसी के अंदर खलबली मच गई है. क्योंकि ये तीसरे फेज की मेजेंटा लाइन के लिए लाई गई वो ट्रेन है, जिन्हें ड्राइवरलेस तकनीक से बनाया गया है और दिल्ली मेट्रो इन्हें बिना ड्राइवर के ही ट्रैक पर उतारने की योजना बना रही थी. लेकिन जनकपुरी बोटैनिकल गार्डन लाइन पर ट्रायल रन के दौरान हुए हादसे के बाद अब डीएमआर सी की कोशिशों को जबरदस्त झटका माना जा रहा है.
ट्रायल रन शुरु करते वक्त डीएमआरसी के एमडी मंगू सिंह ने कहा था कि उन्हें मेट्रो के मुसाफिरों को ड्राइवरलेस ट्रेन में सफर के लिए मानसिक तौर पर तैयार करना होगा और ऐसा मेट्रो की टेक्नोलॉजी पर भरोसे के जरिए ही हो सकता है, लेकिन इस घटना के बाद खुद डीएमआरसी के इंजीनियर्स का भरोसा बुरी तरह से हिल गया है. ऐसे में फिलहाल ड्राइवरलेस ट्रेन चलाने की योजना खटाई में पड़ सकती है. हालांकि डीएमआरसी का कहना है कि वो पहले एक दो साल तक ड्राइवर के साथ ही इन ट्रेनों को चलाने वाली थी, बावजूद इसके कि ये ट्रेन बिना ड्राइवर के भी आटोमेटिक सिस्टम से चलाई जा सकती है.
फिलहाल डीएमआरसी ने ड्राइवरलेस ट्रेन हादसे के लिए आंतरिक जांच शुरु कर दी है और साथ ही कहा है कि कमर्शियल ऑपरेशन में चलने वाली ट्रेन एटीपी यानी आटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन और एटीओ यानी आटोमेटिक ट्रेन आपरेशन के ज़रिए चलाई जाती है, जिसमें दो ट्रेनों के एक ही ट्रेक पर होने की कोई संभावना नहीं रहती और साथ ही दो ट्रेनों के बीच एक निश्चित अंतर बना रहता है. सोमवार को होने वाली बोर्ड की मीटिंग में भी इस हादसे के बाद की परिस्थितियों पर चर्चा हो सकती है और इसके बाद जांच का दायरा भी बढाया जा सकता है.