
पुलिस का आसानी से एफआईआर दर्ज ना करना पूरे देश की समस्या है. दुर्भाग्य से राजधानी की पुलिस भी इस मामले में दूसरे राज्यों से अलग नहीं है. कहने की ज़रूरत नहीं है कि अक्सर वारदात और हादसों के बाद जब परेशान हाल लोग थाने पहुंचते हैं, तो पुलिस उन्हें टरकाने की कोशिश करती है. वजह ये कि रिपोर्ट कम दर्ज हो, आंकड़े छोटे रहें. जिससे तफ्तीश भी कम करनी पड़े और दुनिया को बताया जा सके कि क्राइम ग्राफ़ नीचे आ गया.
लेकिन सितम देखिए कि इतना होने के बावजूद दिल्ली में क्राइम ग्राफ़ नीचे जाने का नाम ही नहीं ले रहा है. गुनाहों के आंकड़े कम ही नहीं हो रहे हैं. पिछले दो साल यानी साल 2016 और 17 के आंकड़ों के तुलनात्मक अध्ययन से ही ये बात साफ़ हो जाती है कि दिल्ली में गुनाहों की वारदात में 12 फ़ीसदी इज़ाफ़ा हुआ है और ये एक बड़ा आंकड़ा है. ये और बात है कि इन दो सालों में दिल्ली में हीनियस क्राइम यानी संगीन अपराध के मामलों में मामूली कमी ज़रूर हुई है, लेकिन चोरी, झपटमारी, वाहन चोरी, सेंधमारी, मारपीट जैसे उन नॉन हीनियस क्राइम में काफ़ी इज़ाफ़ा हुआ है, जिसका सीधा ताल्लुक आम आदमी और उसकी ज़िंदगी से है.
बीते साल दिल्ली में गुनाह की वारदातों में बड़ा इज़ाफ़ा हुआ है. दिल्ली पुलिस के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2016 के मुक़ाबले 2017 में 12 फ़ीसदी जुर्म बढ़ा है. आम लोग चोरी और स्ट्रीट क्राइम से बेज़ार हुए. नॉन हीनियस क्राइम के 2 लाख से ज़्यादा मामले 2017 में सामने आए.
दिल्ली पुलिस के कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने गुरुवार को अपने टॉप ऑफिर्सस के साथ एनुअल प्रेस कांफ्रेंस कर ये बताने की कोशिश की कि दिल्ली की क़ानून व्यवस्था पूरी तरह कंट्रोल में है और लोग सुरक्षित हैं. सुकून में जी रहे हैं. कहने की ज़रूरत नहीं है कि इसके लिए हर साल के मुताबिक पुलिस ने जमकर आंकड़ों की बाज़ीगरी भी की गई और अपनी कामयाबियों का ढिंढोरा पीटा गया.
दिल्ली पुलिस की इस प्रेस कांफ्रेस के हवाले से खालिस आंकड़ों की बात करते हैं. दिल्ली में पिछले एक साल में जुर्म के मामलों में 12 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा दर्ज किया गया. साल 2016 में जहां कुल 1 लाख 99 हज़ार 110 मामले दर्ज हुए थे,वहीं पिछले साल यानी 2017 में 2 लाख 23 हज़ार 75 मामले दर्ज हुए. इसी तरह 2016 में क़त्ल, लूट, अपहरण जैसे 7 हज़ार 629 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2017 में ऐसे संगीन जुर्म के कुल 5 हज़ार 811 मामले दर्ज हुए.
दिल्ली पुलिस की मानें तो संगीन गुनाहों के मामले में कमी ज़रूर आई है, लेकिन चोरी, झपटमारी, सेंधमारी जैसे नॉन हीनियस क्राइम बेतहाशा बढ़ गए. साल 2016 में ऐसे 1 लाख 81 हज़ार 511 मामले दर्ज हुए थे, जबकि पिछले साल यानी 2017 में ऐसे 2 लाख से भी ज़्यादा मामले सामने आए हैं.
साफ़ है कि दिल्ली में पुलिस की तमाम कोशिशों के बावजूद गुनाह के मामलों में कोई कमी नहीं आई. बल्कि ये बढ़ ही गए. ऊपर से ऐसे मामले बढ़े, जिनका सीधा ताल्लुक आम लोगों से है. मसलन, चोरी, झपटमारी, सेंधमारी, छिनेती जैसे वो गुनाह जिसका सीधा शिकार आम आदमी होता है. ऐसे में पुलिस बेशक आंकड़ों की बाज़ीगरी में उलझी रहे, क्राइम कंट्रोल के मामले में कमज़ोर ही नज़र आती है.