
फ्रेंच नेशनल रेलवे यानी एसएनसीएफ ने दिल्ली और चंडीगढ़ के बीच हाई स्पीड कॉरिडोर बनाने को लेकर अपनी अंतिम सर्वे रिपोर्ट रेलवे को सौंप दी है. आजतक को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक फ्रेंच रेलवे ने कहा है कि दिल्ली से चंडीगढ़ के बीच 220 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने के लिए रेलवे को 12068 करोड़ रुपये की अतिरिक्त रकम रेलवे ट्रैक पर खर्च करनी होगी.
अगर रेलवे ऐसा करती है तो इस रेल लाइन पर दिल्ली और चंडीगढ़ के बीच 18 जोड़ी शताब्दी गाड़ियां चलाईं जा सकेंगी और इस रूट पर 2019 तक बड़ी संख्या में मालगाड़ियां दौडाई जा सकेंगी.
चल सकेंगी 36 शताब्दी गाड़ियां
फ्रेंच नेशनल रेलवे ने दिल्ली चंडीगढ़ हाई-स्पीड जोन बनाने के लिए तीन विकल्पों को सामने रखा है. पहले विकल्प में 220 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड़ पर ट्रेन दौड़ाने के लिए जरूरी ट्रैक बनाने के लिए मौजूदा ट्रैक में 12068 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्चा आने का आंकलन किया गया है. ऐसा करने के बाद 18 जोड़ी यानी 36 शताब्दी गाड़ियां दिल्ली और चंडीगढ़ के बीच चलाने का सुझाव दिया गया है.
220 किलोमीटर की स्पीड़ पर ट्रेन दौड़ाने के लिए पूरे ट्रैक पर सिग्नलिंग पूरी तरह से ऑटोमैटिक करनी पड़ेगी. बिजली की सप्लाई लाइन में आमूल-चूल बदलाव किया जाएगा. इसके अलावा रेलवे स्टेशनों को अत्याधुनिक बनाना पड़ेगा. दिल्ली-चंडीगढ़ रेलवे कॉरिडोर की पूरी फेंसिंग करनी पड़ेगी. ऐसा करने के बाद दिल्ली और चंड़ीगढ़ के बीच का सफर 77 से 78 मिनट के बीच पूरा हो सकेगा.
फ्रेंच रेलवे ने हाई-स्पीड रेलगाड़ियों को चलाने का सुझाव दिया है. ऐसा कहा गया है कि पहले इंजन और डिब्बे बाहर से मंगाए जा सकते हैं और उसके बाद यहीं पर मेक इन इंडिया के तहत इस तरह की गाड़ियों को बनाया जा सकता है.
फ्रेंच नेशनल रेलवे ने कहा है कि अगर रेलवे दिल्ली और चंड़ीगढ़ के रेल कॉरिडोर को 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के लिए फिट करना चाहती है तो उसे 7020 करोड़ रुपये की धनराशि का खर्चा करना पड़ेगा. 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के लिए ट्रैक को फिट करने बाद सेमी-हाईस्पीड कॉरिडोर बनेगा.
इस तरह से दिल्ली और चंड़ीगढ के बीच की दूरी महज 86 से 87 मिनट में पूरी की जा सकेगी. अगर ऐसा किया जाता है तो दिल्ली और चंडीगढ के बीच 18 जोड़ी शताब्दी ट्रेनें दोनों तरफ से चलाई जा सकेगीं और मालगाड़ियों की आवाजाही में पचास फीसदी का इजाफा संभावित है.
ट्रैक की करनी होगी फेंसिंग
फ्रेंच रेलवे के मुताबिक इसके लिए भारतीय इंजन ही रेलगाड़ी को खींच सकते हैं और सेमी-हाई स्पीड के लिए कोच बनाने के लिए बाहरी देशों से तकनीक लाई जा सकती है. सिग्नलिंग और बिजली की सप्लाई को अत्याधुनिक करना होगा. दिल्ली से चंडीगढ़ के बीच रेलवे लाइन की दोनों तरफ से फेंसिंग करनी जरूरी होगी.
फ्रेंच रेलवे ने भारतीय रेलवे को तीसरा ऑप्शन दिया है कि दिल्ली और चंडीगढ़ के बीच 160 किलोमीटर के लिए ट्रैक को फिट किया जाए. ऐसी स्थिति में महज 4680 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. दिल्ली और चंडीगढ़ के बीच में ऐसी स्थिति में 15 जोड़ी शताब्दी गाड़ियां दोनों तरफ से चलाई जा सकेंगी. ऐसा करने के लिए ट्रैक को दुरुस्त करना पड़ेगा और सभी लेवल क्रांसिंग्स को पूरी तरह से खत्म करना पड़ेगा. सिग्नलिंग और बिजली सप्लाई में भी बदलाव करना पड़ेगा. फ्रेंच रेलवे की इस फाइनल रिपोर्ट पर रेल मंत्रालय जल्द ही फैसला लेगा.