
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने केजरीवाल सरकार के परिवहन विभाग पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. शनिवार को उन्होंने कहा कि बिना टेंडर के निजी कंपनी को 1000 लो फ्लोर बसें चलाने का ठेका दिया जाना था.
उन्होंने कहा कि परिवहन मंत्री इन बसों को 14,000 रुपये प्रति दिन किराए पर देना चाहते हैं. इसको अंतिम रूप देने से पहले तो प्रस्ताव को परिवहन, विधि और वित्तीय विभागों की स्वीकृति लेनी ज़रूरी है, लेकिन आईएएस अधिकारी के विरोध पर परिवहन सचिव पर जमकर भड़ास निकाली गई.
भारतीय जनता पार्टी के नेता गुप्ता ने कहा कि विपक्ष इस मुद्दे को विधानसभा में उठाएगा. परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत निजी कंपनी मैसर्स जेबीएम ऑटो लिमिटिड से 1000 लो फ्लोर बसें 14,000 रुपये प्रति दिन किराए पर लेने की योजना को अंतिम रूप दे चुके हैं. इस प्रकार कम्पनी को 4.20 लाख रुपये प्रति मास किराया दिया जाएगा, जो कि पूरे वर्ष में 50.40 लाख आता है.
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि इस प्रकार 10 वर्ष में 70 लाख रुपये की बस पर सरकार लगभग पांच करोड़ रुपये निजी कंपनी को देगी. कंपनी की यह भी शर्त स्वीकार की गई है कि कंडक्टर का वेतन, सीएनजी पर व्यय और जीएसटी सहित सभी कर सरकार द्वारा वहन किए जाएंगे. यह अजीबो गरीब शर्त भी स्वीकार की गई है कि इन बसों का पंजीकरण डीटीसी और जेबीएम कंपनी के नाम पर होगा. चूंकि डीटीसी इन बसों की सह-मालिक होगी और परमिट डीटीसी के नाम पर होगा. इन बसों को 10,000 प्रति मास प्रति बस की फीस से भी मुक्त रखा जाएगा. प्रस्ताव का विरोध करने पर परिवहन सचिव वर्षा जोशी पर जमकर भड़ास निकाली गई.
विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि कंपनी ने जून में दिल्ली सरकार को सीएनजी आधारित एसी और नॉन एसी बसें किराए पर देने की पेशकश की थी. कंपनी की पेशकश को बिना टेंडर के स्वीकार कर लिया गया. यह न सिर्फ वित्तीय नियमों का उल्लंघन है, बल्कि कंपनी को इतनी बड़ी संख्या में बसों का निर्माण करने और चलाने का अनुभव भी नहीं है.