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DUSU ने किया चुनाव की तारीख का ऐलान, 9 सितंबर को वोट करेंगे DU के छात्र

दिल्ली यूनिवर्सिटी में 9 सितंबर को होने वाले छात्रसंघ चुनाव के लिए डीयू के छात्र सुबह 8.30 से 12.30 बजे के बीच वोट कर सकेंगे, तो वही इवनिंग कॉलेज में वोटिंग के लिए 3 बजे से 7 बजे तक का वक्त रखा गया है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी दिल्ली यूनिवर्सिटी
रोशनी ठोकने/सुरभि गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 18 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 8:12 AM IST

दिल्ली यूनिवर्सिटी ने छात्रसंघ चुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया है. दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के चुनाव 9 सितंबर को आयोजित किए जाएंगे. चुनाव के लिए नामांकन पत्र भरने की आखिरी तारीख 1 सितंबर है. नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 3 सितंबर है और उसी दिन उम्मीदवारों की फाइनल लिस्ट की घोषणा भी की जाएगी.

कैंपस में बनने लगा है सियासी माहौल
9 सितंबर को होने वाले छात्रसंघ चुनाव के लिए डीयू के छात्र सुबह 8.30 से 12.30 बजे के बीच वोट कर सकेंगे, तो वही इवनिंग कॉलेज में वोटिंग के लिए 3 बजे से 7 बजे तक का वक्त रखा गया है. डीयू के मुताबिक वोट और परिणामों की गिनती की तारीख की घोषणा बाद में की जाएगी. छात्रसंघ चुनाव की तारिखों के ऐलान के साथ ही कैंपस में सियासी माहौल बनना शुरू हो गया है.

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एबीवीपी और एनएसयूआई के लिए आर-पार की जंग
लगातार तीन सालों से डूसू पर एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) का कब्जा है, लिहाजा इस बार एबीवीपी के लिए अपनी साख बचाना बड़ी चुनौती होगी. वहीं एनएसयूआई (नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया) अपनी खोई हुई जमीन तलाशने की कोशिश करेगी. पिछले साल आम आदमी पार्टी के छात्र संगठन सीवाईएसएस (छात्र युवा संघर्ष समिति) के डूसू के दंगल में उतरने से चुनाव और भी दिलचस्प हो गया था, लेकिन सीवाईएसएस डूसू की पहली लड़ाई में अपना खाता भी नहीं खोल पाई.

सीवाईएसएस ने बनाई छात्रों के मुद्दों से दूरी
इस साल सीवाईएसएस कैंपस से पूरी तरह नदारद है. सूत्रों के मुताबिक पंजाब चुनाव के मद्देनजर सीवाईएसएस इस बार डूसू चुनाव नहीं लड़ेगी. सीवाईएसएस ने इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन कैंपस में छात्रों के मुद्दों से सीवाईएसएस की दूरी इस बात की ओर इशारा कर रही है. सीवाईएसएस के डूसू चुनाव नहीं लड़ने का फायदा एनएसयूआई को मिल सकता है, हालांकि आईसा (ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन) और एसएफआई जैसे वामपंथी छात्र संगठन भी डूसू में अपनी मौजूदगी का प्रभाव छोड़ेंगे.

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जेएनयू की घटना का पड़ सकता है प्रभाव
जेएनयू की घटना के बाद वामपंथी जहां एबीवीपी को आड़े हाथों लेकर वोट मांगेंगे, तो वहीं एबीवीपी छात्र हितों के साथ-साथ राष्ट्रवाद के नाम पर डूसू जीतने का प्रयास करेगा. एनएसयूआई भी जेएनयू के बहाने एबीवीपी को टारगेट कर डूसू में अपना वर्चस्व हासिल करना चाहेगा. इतना तो तय है कि इस बार सीवाईएसएस का डूसू नहीं लड़ना एक बार फिर एबीवीपी और एनएसयूआई को आमने-सामने खड़ा कर देगा.

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