
पिछले दिनों हुई दिल्ली हिंसा ने न सिर्फ कई लोगों की जिंदगी छीन ली बल्कि कई ऐसे मामले हुए जो गुजरते वक्त के साथ-साथ लोगों को उसकी याद दिलाती रहेगी. बड़ी संख्या में लोग इस हिंसा में घायल भी हुए हैं. इस हिंसा का शिकार बनी शिव विहार की 8 साल की एक लड़की, जिसके ऊपर एसिड जैसा कोई तरल पदार्थ फेंक दिया गया था.
लड़की के ऊपर एसिड जैसा तरल पदार्थ फेंके जाने से उसकी दाईं आंख में गंभीर चोट आई है. हालांकि इलाज के बाद अब बच्ची की आंख ठीक हो रही है. फिर भी उसकी आंख के चारों ओर जलने के लाल निशान उस वाकये की भयावहता को आज भी दर्शा रहे हैं.
हिंसा की वजह से डर गई बच्ची
हिंसा की वजह से लड़की बेहद डर गई है और वह अनजान पुरुषों को देखकर सहम जाती है. वह अक्सर रोने लगती है और उसने खाना भी लगभग छोड़ दिया है.
बच्ची ने उस दिन की भयावहता के बारे में बताते हुए आजतक से कहा, "मैंने आदमियों को रॉड और तलवार के साथ देखा. दंगा हो रहा था (यह एक हिंसा थी). हम भाग रहे थे कि अचानक किसी ने मेरे ऊपर एक तरल पदार्थ फेंक दिया. मैं अपने चेहरे पर जलन को लेकर मां से चिल्लाई और फिर हम भाग गए. मैं बुरी तरह से डर गई और इसके बाद से मुझे भूख ही नहीं लग रही."
बता दें कि बच्ची अपनी मां गीता के साथ सोमवार को शिव विहार में शादी के बाद अपने घर गोकुलपुरी लौट रही थी जब वह हिंसा का शिकार हुई.
बच्ची की मां ने कहा, "मैंने हिंसाग्रस्त क्षेत्र में वापस रहने की तुलना में घर पर रहना बेहतर समझा. लेकिन जब हम सड़क पर भीड़ से बचने के लिए चले गए, तो मेरी बेटी मेरी ओर चिल्लाई. मुझे नहीं पता किसने उस पर तरल पदार्थ फेंका, लेकिन यह सब मेरे घर के पास ही हुआ. हम घर वापस आने में कामयाब रहे."
मां का दावा है कि जीटीबी के डॉक्टरों और पुलिस ने यह मानने से इनकार कर दिया था कि बच्ची को यह चोट हिंसा के कारण लगी थी.
ठीक से आंख नहीं खोल पा रही बच्चीः मां
बच्ची को लेकर परेशान मां ने कहा, "मैंने अपने बच्चे की कसम खाई और अस्पताल में पुलिस को आश्वस्त भी किया कि हम झूठ नहीं बोल रहे. शुरू में मैंने इलाज के लिए कुछ घरेलू तेल लगाए और फिर डॉक्टर ने मरहम लगाने को कहा. क्या अब मेरी बेटी वापस पहले जैसी हो सकेगी?"
एक महिला ने बच्ची के माता-पिता को डॉक्टर के पास जाने को कहा और उन्हें इसके बारे में बताने का सुझाव दिया.
मां ने बताया कि उसके आंख के ऊपर की स्किन लटक रही थी और वह ठीक से आंख नहीं खोल पा रही थी. हम उसके चेहरे पर पहुंचे नुकसान को लेकर परेशान हैं जो उसके आंख के दाएं तरफ तरल पदार्थ डाले जाने से बन गए हैं. उन्होंने बताया कि बच्ची रात में खाना नहीं खा रही है और उसे नींद नहीं आ रही. पड़ोस में रहने वाले दोस्त उसका ख्याल रखते हैं.
बच्ची का परिवार गोकुलपुरी में एक छोटे से घर में रहता है और उसका पिता एक फेरीवाला है और वही परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य है.
क्या कहते हैं काउंसलर
हिंसा को लेकर बहुत से बच्चों में डर फैल गया है. चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं से नाबालिगों पर लंबे समय तक पोस्ट ट्रॉमेटिक डिसऑर्डर (PTSD) की स्थिति बनी रहती है.
मनोचिकित्सक समीर पारिख ने कहा, "पीटीएसडी की संभावना असाधारण रूप से अधिक होती है. बच्चों पर इस तरह की हिंसा का असर लंबे समय तक बना रहता है. ऐसी घटना बच्चों के दिमाग में अंतर्निहित हो जाती है और इसकी याद कई चरणों में हो जाती है. कुछ बच्चों में भय और अलगाव बढ़ जाता है."
इसे भी पढ़ें--- दिल्ली हिंसा: हवलदार रतनलाल हत्याकांड के सुराग मिले, खुलासा जल्द
इसे भी पढ़ें--- दिल्ली हिंसाः सुप्रीम कोर्ट की अपील के बाद, 12 मार्च को सुनवाई करेगा HC
उनका कहना है कि ऐसे में माता-पिता के लिए बहुत जरूरी हो जाता है कि वे बच्चों को सामान्य करने की कोशिश करें. उन्हें नियमित रूप से बच्चों से बातचीत करते रहना चाहिए. भावनाओं की अभिव्यक्ति बहुत जरूरी है और इसलिए माता-पिता को बातचीत जारी रखनी चाहिए.
विशेषज्ञ बच्चों को हिंसा के तनाव से निपटने में मदद करने के लिए आर्ट थेरेपी और नियमित बातचीत की सलाह देते हैं.