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नवरात्र 2017: पालकी में सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, हाथी पर होगी विदाई

शारदीय नवरात्र 2017 में मां दुर्गा का आगमन पालकी से होगा और हाथी पर मां की विदाई होगी. यह अति शुभ है क्योंकि पालकी सुख का प्रतीक है और हाथी समृद्ध‍ि का.

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वंदना भारती
  • नई दिल्ली,
  • 19 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:54 AM IST

शारदीय नवरात्र 2017 में मां दुर्गा का आगमन पालकी से होगा और हाथी पर मां की विदाई होगी. यह अति शुभ है क्योंकि पालकी सुख का प्रतीक है और हाथी समृद्ध‍ि का. देवी पुराण में नवरात्र में भगवती के आगमन व प्रस्थान के लिए वार अनुसार वाहन बताए गए हैं.

देवी पुराण के अनुसार: आगमन के लिए वाहन- रविवार व सोमवार को हाथी, शनिवार व मंगलवार को घोड़ा, गुरुवार व शुक्रवार को पालकी, बुधवार को नौका आगमन होता है.

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प्रथम दिन किस देवी की पूजा

नवरात्र पूजन के प्रथम दिन कलश पूजा के साथ मां शैलपुत्री जी का पूजन किया जाता है.

शारदीय नवरात्र 21 सितंबर से शुरू होंगे और 30 सितंबर को दशहरा होगा. शैलराज हिमालय की कन्या होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा गया है. मां शैलपुत्री दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प लिए हुए हैं. इनका वाहन वृषभ है. नवदुर्गाओं में मां शैलपुत्री का महत्व और शक्तियां अनन्त हैं.

शुभ समय

21 सितंबर को मां के शैलपुत्री रूप की पूजा होगी. 21 को सुबह 6:03 बजे से 8:22 बजे तक का समय शुभ है पूजा करने के लिए.

कलश स्थापना

अगर आप घर में कलश स्थापना कर रहे हैं तो सबसे पहले कलश पर स्वास्तिक बनाएं. फिर कलश पर मौली बांधें और उसमें जल भरें. कलश में साबुत सुपारी, फूल, इत्र और पंचरत्न व सिक्का डालें. इसमें अक्षत भी डालें.

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नवरात्र के पहले कैसे करें पूजा

नवरात्र के प्रथम दिन स्नान-ध्यान करके माता दुर्गा, भगवान गणेश, नवग्रह कुबेरादि की मूर्ति के साथ कलश स्थापन करें. कलश के ऊपर रोली से ॐ और स्वास्तिक लिखें. कलश स्थापन के समय अपने पूजा गृह में पूर्व के कोण की तरफ अथवा घर के आंगन से पूर्वोत्तर भाग में पृथ्वी पर सात प्रकार के अनाज रखें.

संभव हो, तो नदी की रेत रखें. फिर जौ भी डालें. इसके उपरांत कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, कलावा, चंदन, अक्षत, हल्दी, रुपया, पुष्पादि डालें. फिर 'ॐ भूम्यै नमः' कहते हुए कलश को सात अनाजों सहित रेत के ऊपर स्थापित करें.

अब कलश में थोड़ा और जल या गंगाजल डालते हुए 'ॐ वरुणाय नमः' कहें और जल से भर दें. इसके बाद आम का पल्लव कलश के ऊपर रखें. तत्पश्चात् जौ अथवा कच्चा चावल कटोरे में भरकर कलश के ऊपर रखें. अब उसके ऊपर चुन्नी से लिपटा हुआ नारियल रखें.

हाथ में हल्दी, अक्षत पुष्प लेकर इच्छित संकल्प लें. इसके बाद 'ॐ दीपो ज्योतिः परब्रह्म दीपो ज्योतिर्र जनार्दनः! दीपो हरतु मे पापं पूजा दीप नमोस्तु ते. मंत्र का जाप करते दीप पूजन करें. कलश पूजन के बाद नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे!' से सभी पूजन सामग्री अर्पण करते हुए मां शैलपुत्री की पूजा करें.

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मनोविकारों से बचने के लिए मां शैलपुत्री को सफेद कनेर का फूल भी चढ़ा सकते हैं.

मंत्र-

या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

अथवा

वन्दे वांछितलाभाय चन्दार्धकृतशेखराम्

वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।

मंत्र का जाप करें.

आगमन व गमन

शारदीय नवरात्र 2017 में मां दुर्गा का गुरुवार को आगमन पालकी से होगा व गमन हाथी पर होगा. इस बार माता का आगमन व गमन जनजीवन के लिए हर प्रकार की सिद्धि देने वाला है. ऐसा माना जाता है कि जब मां पालकी में सवार होकर आती हैं तो अपने साथ सुख लेकर आती हैं और समृद्धि देकर जाती हैं.

इसके अलावा पूरे नौ दिन कोई न कोई शुभ योग बना रहेगा. पहले दिन शुभ मुहूर्त में घट स्थापना के साथ शक्त‍ि की साधना व उपासना का सिलसिला शुरू होगा, जो 29 सितंबर को दुर्गा नवमी तक चलेगा. विजयादशमी 30 सितंबर को मनाई जाएगी.

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