
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मानना है कि राज्य की राजधानी पटना कोई शहर नहीं है, बल्कि एक बहुत बड़ा गांव है. पटना में आयोजित द एसोसिएशन ऑफ जियोग्राफर्स के कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने विकास बरक्स पर्यावरण पर अपने विचार रखे और आधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के साथ-साथ अपने पर्यावरण का ख्याल रखने पर जोर दिया.
नीतीश ने कहा, "1996 तक लोगों के पास वातानुकूलित कमरे बहुत कम हुआ करते थे. अब जब गांव-गांव में बिजली पहुंच गई है तो गांव में भी लोग टीवी, फ्रिज और एयर कंडिशन का इस्तेमाल करने लगे हैं. प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कर हम आनंद तो ले रहे हैं, लेकिन इसके कई दुष्प्रभाव भी देखने को मिल रहे हैं."
नीतीश कुमार दरअसल पटना का उदाहरण देकर उन विकसीत शहरों की चर्चा कर रहे थे, जहां विकास तो है लेकिन पर्यावरण से छेड़छाड़ की वजह से स्थिति भयावह बनती जा रही है.
बिहार में 6 करोड़ लोग इस्तेमाल करते हैं मोबाइल
नीतीश कुमार ने तेजी से बढ़ रहे प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की ओर इशारा करते हुए कहा, "बिहार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं मानी जाती. लेकिन 6 करोड़ लोग यहां मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं. अब लोग मोबाइल से वायस कॉल वीडियो कॉल करते हैं. जमशेदपुर या बोकारो जैसे औद्योगिक शहरों को सुनियोजित तरीके से बसाया गया है. ये शहर देखने में सुंदर लगते हैं, लेकिन शहर के बाहरी हिस्सों की क्या स्थिति है. इसलिए ऐसी जगहों पर पर्यावरण का संतुलन भी जरूरी है."
बीजिंग में नहीं सुनाई देती पक्षियों की आवाज
नीतीश ने आधुनिकता और पर्यावरण के बीच असंतुलन का जिक्र करते हुए चीन की राजधानी बीजिंग का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा, "मुझे बीजिंग जाने का मौका मिला. लेकिन वहां मैं पक्षियों की चहचहाहट सुनने के लिए तरस गया."
उन्होंने भूगोलविदों को संबोधित करते हुए कहा, "बड़े-बड़े शहरों के लिए भी प्राकृतिक वातावरण का कितना महत्व है, इसलिए पृथ्वी पर बात कीजिए. प्रकृति के नियमों के खिलाफ हमें नहीं चलना चाहिए. पृथ्वी को विनष्ट होने से बचाना हमारा दयित्व है. आज तकनीक के विकास का दुरुपयोग भी एक बड़ा कारण बन रहा है. गांधीजी ने कहा था पृथ्वी हमारी जरूरतों को पूरा कर सकती है, हमारे लालच को नहीं. यहां थर्मल पावर प्लांट स्थापित करने के लिए कोयले की जरूरत है, लेकिन कोयला धरती की खुदाई से ही संभव है. विकास के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है. इसलिए इस तरह अकादमिक बहस से कुछ नहीं होगा. इसके लिए हमें खुद को बदलना होगा."
उन्होंने कहा कि सामाजिक जागरूकता नहीं होने के कारण हम पर्यावरण पर ध्यान नहीं दे रहे.
गंगा में नहीं बहाया जाएगा सिवेज ट्रीटमेंट का गंदा पानी
नीतीश ने कहा, "पटना में छठ के वक्त दो दिन तक सड़क साफ रहती है, यह साफ-सफाई लोग खुद करते हैं. लेकिन जब छठ पर्व खत्म हो जाता हैं तो सड़क पर ही कचरा फेंक देते हैं. ऐसी मानसिकता होती है. इसको बदलने की जरूरत है. कोई काम कीजिए कुदरत को ध्यान में रख कर करना चाहिए. हमने एक निर्णय लिया है कि सिवेज ट्रीटमेंट प्लाट का पानी भी गंगा में अब नहीं बहाया जाएगा. उस पानी का इस्तेमाल कृषि में किया जायेगा. विकास का मतलब केवल विकास से नहीं होता, बल्कि उससे पर्यावरण के संबंध को भी देखने की जरूरत है. जितना विकास कीजिए उसी अनुपात में पर्यावरण की रक्षा करने का उपाय भी कीजिए."