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... ऐसे डॉ. जिन्होंने खोज निकाली मलेरिया की जड़

मलेरिया जैसी घातक बीमारी कहां से शुरू हुई?इस सवाल से कभी पर्दा नहीं उठ पाता अगर डॉ. रोनाल्ड रॉस ने ना बताया होता कि मच्छरों पर काबू पाकर मलेरिया पर काबू पाया जा सकता है.  

Doctor Ronald Ross Doctor Ronald Ross
वंदना भारती
  • नई दिल्ली,
  • 13 मई 2017,
  • अपडेटेड 1:14 PM IST

आज देश भर में हर साल कई मौत मच्छरों से फैलने वाली बीमारी मलेरिया से होती है. पर क्या कभी सोचा है इस बात का पता किसने लगाया कि मलेरिया जैसी घातक बीमारी मच्छरों के कारण फैलती है. अगर डॉ. रोनाल्ड रॉस नहीं होते तो शायद आज भी मच्छर और मलेरिया की वजह से लाखों-करोड़ों लोग मर रहे होते. साल 1857 में 13 मई को डॉ. रोनाल्ड रॉस का जन्म हुआ.

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जानते है उनकी जिंदगी से जु़ड़ी खास बातें.
1. डॉ. रोनाल्ड रॉस का जन्म अल्मोड़ा (भारत) में हुआ.

2. वे अंग्रेजी राज की भारतीय सेना के स्कॉटिश अफसर सर कैम्पबेल रॉस की दस संतानों में सबसे बड़े थे.

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3. रॉस को लिखना बेहद पसंद है. वे गजब के लेखक भी थे. उन्होंने अपने जिंदगी के अहम पड़ावों पर कई कविताएं भी लिखी.

4. इंग्लैंड में स्कूली शिक्षा खत्म करने के बाद उन्होंने पिता के दबाव में आकर लंदन के सेंट बर्थेलोम्यू मेडिकल स्कूल में प्रवेश ले लिया.

5. अपनी मेडिकल शिक्षा पूरी होने के बाद वे इंडियन मेडिकल सर्विस की प्रवेश परीक्षा में बैठे लेकिन नाकाम रहे. पर हार ना मानते हुए उन्होंने फिर अगले साल परीक्षा में बैठे जिसमें वे 24 छात्रों में से 17 वें नम्बर पर आए.

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6. आर्मी मेडिकल स्कूल में चार महीने के ट्रेंनिग के बाद वें इंडियन मेडिकल सर्विस में एडमिशन लेकर अपने पिता का सपना पूरा किया. जहां उन्हें कलकत्ता या बॉम्बे के बजाय मद्रास प्रेसिडेंसी में काम करने का मौका मिला.

7. उनका ज्यादातर काम मलेरिया पीड़ित सैनिकों का इलाज करना था.

8. रॉस ने पाया कि इलाज के बाद रोगी ठीक तो हो जाते थे लेकिन मलेरिया इतना घातक था कि उसके वजह से लोगों की मौतें तेजी होना शुरू हो गई .

9. भारत में 7 साल काम करने के बाद वे 1888 में इंग्लैंड लौट गए. जहां उन्होंने 'PUBLIC HEALTH' में डिप्लोमा किया.

10. डिप्लोमा के बाद वे प्रयोगशाला की तकनीकों और माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल करने में माहिर हो गए.

11. साल 1889 में भारत लौट उन्होंने मलेरिया पर थ्योरी बनाई. उनके पास बुखार का कोई भी रोगी आता था तो वह उसका खून का सैंपल रख लेते थे. फिर उसी सैंपल का घंटों माइक्रोस्कोप के नीचे रखकर अध्ययन करते.

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12. वे खुद एक बार मलेरिया जैसी बीमारी का शिकार हो चुके हैं, इसके बावजुद भी उन्होंने एक हज़ार मच्छरों का डिसेक्शन किया.

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13. 1894 में वे वापस लंदन की ओर रवाना हुए और तब के ख्यात डॉक्टर पेट्रिक मैन्सन से मिलकर कहा कि 'मुझे लगता है कि मच्छर मलेरिया के रोगाणु फैलाते है'.उनके इन शब्दों ने उनका जीवन बदल दिया.

14. मलेरिया जैसी घातक बीमारी पर काम करने के लिए डॉ. रोनाल्ड रॉस 1902 में शरीर क्रिया विज्ञान और चिकित्सा के लिए Nobel Prize Award से सम्मानित किया गया.

15. उन्हें 1923 में अल्बर्ट मेडल और 1923 में मैंशन मेडल से सम्मानित किया गया.

16. साल 1932 में 16 सिंतबर उन्होंने अपनी आखिरी सांसे ली.


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