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हर साल देश भर में कई मौतें मलेरिया से हो जाती हैं. पर क्या कभी सोचा है कि किसने इस बात का पता लगाया कि मलेरिया जैसी घातक बीमारी किस कारण फैलती है. आखिर कैसे पता चला कि मच्छरों पर काबू पाने से मलेेरिया पर भी काबू पाया जा सकता है. डॉ. रोनाल्ड रॉस ने ही मलेरिया और मच्छर का कनेक्शन बताया.
उनकी जिंदगी से जु़ड़ी खास बातें
डॉ. रोनाल्ड रॉस का जन्म अल्मोड़ा (भारत) में 13 मई 1857 को हुआ था.
वह गजब के लेखक थे. अपनी जिंदगी के अहम पड़ाव पर उन्होंने कई कविताएं भी लिखीं.
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अपनी मेडिकल पढ़ाई पूरी होने के बाद वह जब पहली बार इंडियन मेडिकल सर्विस की प्रवेश परीक्षा में बैठे लेकिन नाकाम रहे. अगले साल फिर वह परीक्षा में बैठे जिसमें 24 छात्रों में से 17 वें नम्बर पर आए. आर्मी मेडिकल स्कूल में चार महीने के ट्रेंनिग के बाद उन्होंने इंडियन मेडिकल सर्विस में दाखिला लेकर अपने पिता का सपना पूरा किया. उन्हें कोलकाता या मुंबई के बजाय मद्रास प्रेसिडेंसी में काम करने का मौका मिला जहां वह मलेरिया पीड़ित सैनिकों का इलाज करते थे.9/11: जब विमान पर सवार होकर आई दहशत, राख हो गया World Trade Center
मलेरिया के इलाज के दौरान उन्होंने पाया कि मरीज ठीक तो हो जाते थे लेकिन बाद में इस बीमारी की वजह से जान गंवानी पड़ जाती थी.
भारत में 7 साल काम करने के बाद वह 1888 में इंग्लैंड लौट गए जहां उन्होंने 'PUBLIC HEALTH' में डिप्लोमा किया.
डिप्लोमा करने के बाद वह प्रयोगशाला की तकनीकों और माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल करने में माहिर हो गए थे.
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साल 1889 में भारत लौटकर उन्होंने मलेरिया पर थ्योरी बनाई. उनके पास बुखार के रोगी आते थे तो वह उनका खून का सैंपल रख लेते थे जिसके बाद उसी सैंपल का घंटों माइक्रोस्कोप के नीचे रखकर अध्ययन करते थे.
डॉ. रोनाल्ड रॉस 1894 में वापस लंदन की ओर रवाना हुए और डॉक्टर पेट्रिक मैन्सन से मिलकर कहा कि 'मुझे लगता है कि मच्छर मलेरिया के रोगाणु फैलाते है'. इन शब्दों ने उनका जीवन बदल दिया.
मलेरिया जैसी घातक बीमारी की खोज के लिए उन्हें Nobel Prize से सम्मानित भी किया गया.
मलेरिया को पहचानकर उससे निजात दिलाने वाले डॉ. रोनाल्ड रॉस का निधन 1932 में 16 सितंबर को हुआ.