
डोकलाम विवाद पर मात खाने का मलाल चीनी सेना के दिल से गया नहीं है. शायद यही वजह रही कि चीन की जनमुक्ति सेना (पीएलए) ने रविवार को राष्ट्रीय दिवस के मौके पर सीमा पर आयोजित औपचारिक बैठक (बीपीएम) में भारतीय सैनिकों को न्योता नहीं दिया.
इंडियन एक्सप्रेस ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से प्रकाशित रिपोर्ट में बताया भारत से सटी सीमा पर चीन पांच स्थानों पर यह बैठक करने वाला था, लेकिन चीनियों की तरफ इसके लिए कोई न्यौता ही नहीं दिया गया. इस औपचारिक बैठक सैन्य अधिकारियों की फ्लैग मीटिंग से अलग होती हैं. इसमें दोनों तरफ से सैन्य अधिकारी, जवान अपने परिवार के साथ शामिल होते हैं. इसमें कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेल प्रतियोगिताएं और भोजन की व्यवस्था की जाती है, लेकिन इस बार ऐसा कोई आयोजन नहीं हुआ.
वर्ष 2015 के बाद यह पहला मौका था, जब भारत-चीन सीमा पर कोई बीपीएम नहीं हुई. तब दोनों ही पक्षों में हर साल इस तरह की दो बैठकों की सहमति बनी थी. इन बैठकों का मकसद भारत- चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्यकर्मियों के बीच आपसी भरोसा बढ़ाना था.
इन बैठकों के लिए 15 अगस्त और 1 अक्टूबर का दिन तय किया गया था. हालांकि अगस्त में भारत-चीन-भूटान ट्राइजंक्शन पर स्थित डोकलाम को लेकर उभरे विवाद के चलते 15 अगस्त को भारतीय सैनिकों द्वारा आयोजित बैठक में शामिल होने का न्योता ठुकरा दिया था. वहीं अब 1 अक्टूबर को होने वाली बीपीएम का न्योता ना देकर चीनी सेना ने साफ किया कि संबंध अभी सामान्य नहीं हुए हैं.