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आपके मन में भी कई बार ये सवाल आया होगा कि दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ का नाम माउंट एवरेस्ट ही क्यों रखा गया. हम यहां आपको बता रहे हैं कि एवरेस्ट का नाम कैसे मिला और इस पहाड़ जुड़ी कुछ ऐसी भी बातें हैं जिसे सुनकर आप चौंक जाएंगे...
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माउंट एवरेस्ट का नाम वेल्स के सर्वेयर और जियोग्राफर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर रखा गया था. सर एवरेस्ट ने ही पहली बार एवरेस्ट की सही ऊंचाई और लोकेशन बताई थी. इसलिए उनके नाम पर ही साल 1865 में माउंट एवरेस्ट को नाम दिया गया. इसके पहले इस पर्वत को पीक-15 के नाम से जाना जाता था. माउंट एवरेस्ट को तिब्बती लोग चोमोलंगमा और नेपाली लोग सागरमाथा कहते थे.
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जॉर्ज एवरेस्ट का जन्म 4 जुलाई को साल 1790 में हुआ था. साल 1830 से 1843 के बीच वो भारत के सर्वेयर जनरल रहे. साल 1862 में रॉयल जियोग्राफल सोसाइटी के वाइस प्रेसिडेंट रहे. अपने कार्यकाल में उन्होंने ऐसे उपकरण पेश किए, जिनसे सर्वे का सटीक आकलन किया जा सकता है.
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माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने और उसकी ऊंचाई से तालमेल बिठाने में लोगों को लगभग 40 दिन लग जाते हैं. यहां हवा की रफ्तार 321 किलोमीटर प्रतिघंटे तक पहुंच सकती है और यहां का तापमान 80 डिग्री फारेनहाइट तक जा सकता है. लगभग 280 लोग अब तक माउंट एवरेस्ट पर जान गंवा चुके हैं.