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AAP को घेरने में जुटी BJP-कांग्रेस को झटका, संसदीय सचिव मामले में पक्षकार बनाने से EC का इनकार

दिल्ली में 21 संसदीय सचिवों का मामला और रोचक होता जा रहा है. दिल्ली सरकार, कांग्रेस और बीजेपी को झटका देते हुए केंद्रीय चुनाव आयोग ने इन तीनों को पक्षकार बनाने की याचिका खारिज कर दी है.

याचिकाकर्ता ने सीधे कार्रवाई की मांग की याचिकाकर्ता ने सीधे कार्रवाई की मांग की
अमित कुमार दुबे/कुमार कुणाल/संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 27 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 6:02 PM IST

दिल्ली में 21 संसदीय सचिवों का मामला और रोचक होता जा रहा है. दिल्ली सरकार, कांग्रेस और बीजेपी को झटका देते हुए केंद्रीय चुनाव आयोग ने इन तीनों को पक्षकार बनाने की याचिका खारिज कर दी है. दरअसल लाभ के पद के मामले में 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाने के लिए केंद्रीय चुनाव आयोग में याचिका लगाई गई है. याचिका वकील प्रशांत पटेल ने लगाई थी, लेकिन बाद में दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन, दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय समेत दिल्ली सरकार ने भी खुद को मामले में पार्टी बनाने की याचिका चुनाव आयोग के सामने लगाई. याचिकाकर्ता प्रशांत पटेल ने 21 जुलाई को हुई पिछली सुनवाई में इन सबको पार्टी बनाने का विरोध किया था.

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राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग से भी मांगी राय
वकील प्रशांत पटेल ने सीधे राष्ट्रपति के पास याचिका भेजी थी, पटेल ने कहा था कि संविधान के मुताबिक मंत्रियों के संसदीय सचिव बनाए गए AAP के ये सभी 21 विधायक लाभ के पद पर हैं, लिहाजा इनकी सदस्यता रद्द की जाए. राष्ट्रपति ने इस पेचीदा मसले पर चुनाव आयोग से भी राय मांगी है. इसी दौरान राष्ट्रपति ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति के मामले में दिल्ली विधानसभा से पास संशोधन विधेयक भी वापस भेज दिया. इसके बाद कांग्रेस और बीजेपी को ये फायदे वाला राजनीतिक मुद्दा लगा. उन्होंने भी आयोग के पास हस्तक्षेप याचिका यानी इंटरविनिंग एप्लीकेशन लगाकर खुद को पक्षकार बनाने की अर्जी दे दी. इन दोनों पार्टियों ने कहा था कि इस मामले की सुनवाई के दौरान उनका पक्ष भी सुना जाए.

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AAP के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाने का मामला
याचिका पिछले साल 28 दिसंबर को केंद्रीय चुनाव आयोग के पास दायर की गई थी, जिसमें उन 21 विधायकों की सदस्यता खत्म करने की बात कही गई थी, जिन्हें केजरीवाल सरकार ने संसदीय सचिव बनाए हैं. इससे पहले याचिकाकर्ता ने 19 जून 2015 को राष्ट्रपति के पास भी इसी मामले में शिकायत दर्ज कराई थी.

अब अगली सुनवाई 10 अगस्त को
हालांकि केंद्रीय चुनाव आयोग ने ये तो कहा कि दिल्ली सरकार, बीजेपी और कांग्रेस को पार्टी नहीं बनाया जा रहा है. लेकिन सुनवाई के दौरान अगर उनकी कोई मदद चाहिए होगी तो चुनाव आयोग उनसे वो मदद ले सकता है. मामले की अगली सुनवाई चुनाव आयोग अब 10 अगस्त को तीन बजे करेगा. वहीं लाभ के पद पर आसीन होने के 21 आरोपी विधायकों ने अपने जबाव में चुनाव आयोग के ही अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठा दिए. विधायकों का कहना है कि राष्ट्रपति को सलाह देने का अधिकार चुनाव आयोग को नहीं है. अब इन विधायकों से शायद आयोग इस पर भी सवाल पूछे कि आखिर वो संविधान के किस अंश के तहत ये कह रहे हैं.

याचिकाकर्ता ने सीधे कार्रवाई की मांग की
दूसरी ओर याचिकाकर्ता प्रशांत पटेल का कहना है कि इस मामले में किसी राजनीतिक दल या दिल्ली सरकार को पार्टी बनाने का कोई तुक नहीं बनता, क्योंकि सीधे-सीधे सुनवाई और कार्रवाई उन पर होनी है जिनके लाभ के पद पर होने की बात कही जा रही है. लिहाजा अब ये साफ हो गया है कि आप के 21 विधायकों को 10 अगस्त दोपहर बाद आयोग के मुख्यालय में हाजिर होकर आयोग के सवालों के जवाब देने हैं.

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