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मृतकों के फर्जी साइन कर जुटाए दस्तावेज फिर बेच दिया प्लॉट, जांच शुरू

मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने दो लोगों के खिलाफ जांच शुरू की है, जिन्होंने एक फर्म को धोखा दिया है और मृत व्यक्तियों के हस्ताक्षर के सहारे करोड़ों रुपये का प्लॉट हासिल कर लिया है. यह मामला मुंबई का है.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
दिव्येश सिंह
  • मुंबई,
  • 22 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 3:18 PM IST

  • फर्जी हस्ताक्षर के सहारे करोड़ों रुपये का प्लॉट हासिल किया
  • मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा कर रही केस की जांच

मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने दो लोगों के खिलाफ जांच शुरू की है, जिन्होंने एक फर्म को धोखा दिया है और मृत व्यक्तियों के हस्ताक्षर के सहारे करोड़ों रुपये का प्लॉट हासिल कर लिया है. यह मामला मुंबई का है.

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आर्थिक अपराध शाखा ने हाल ही में दो लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. आरोप है कि दोनों ने मृत व्यक्तियों के हस्ताक्षर से एक साझेदारी फर्म से TDR यानी ट्रांसफर ऑफ डेवलपमेंट राइट्स हासिल करने के लिए मुंबई में देश की शीर्ष कंस्ट्रक्शन कंपनी को बेच दिया था. अंधेरी मुंबई के ओशिवारा के प्रमुख व्यवसायी इलाके में स्थित प्लॉट का दायरा 4273.70 वर्ग मीटर है. इसकी कीमत करोड़ों में बताई जा रहा है.

दोनों आरोपियों की शिनाख्त मुकेश मेहता और हिरजी केनिया के रूप में की गई है. इन्होंने फर्जी दस्तावेज बनवाए और इसका इस्तेमाल उन्होंने भूमि कब्जा करने और इसके टीडीआर अधिग्रहण के लिए किया था.

शिकायतकर्ता बिपिन माकडा ने ईओडब्ल्यू को दिए अपने बयान में कहा है, “जिस भूमि पार्सल पर करोड़ों रुपये का टीडीआर हासिल किया गया था, उसे 1972 में दलिया इंडस्ट्रियल एस्टेट नाम की एक साझेदारी फर्म ने खरीदा था और इस फर्म में सात लोग साजेदार हैं. फर्म ने इमारतों के निर्माण और इसे बेचने के लिए जमीन खरीदी थी. इसके लिए ओशिवारा में प्राइम लैंड पार्सल का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन किसी तरह इसे विकसित नहीं किया जा सका. बाद में बीएमसी ने सड़क के विकास के लिए भूखंड को रिजर्व रखा था. इसके लिए भूमि मालिकों को टीडीआर प्रदान किया गया था जो कि साझेदार फर्म थी. साझेदारों में से एक मेरे पिता भी थे.''

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बयान में कहा गया था कि साझेदारों में हीरजी केनिया भी था. उसके पास अन्य साझेदारों में से संपत्ति के लिए अटॉर्नी की शक्ति थी. उसी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर यह कारनामा किया गया है. फर्जी दस्तावेजों के सहारे हीरजी ने ये जमीन मुकेश मेहता को 24000 रुपये में बेच दिया. शिकायतकर्ता बिपिन माकडा ने बताया कि इस दौरान सभी साझेदारों के झूठे दस्तखत का इस्तेमाल किया गया.

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