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सुस्ती के दौर से गुजर रही है अर्थव्यवस्था, सरकार को बढ़ाना होगा खर्च : SBI रिसर्च

भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है और वह सुस्ती के दौर से गुजर रही है. एसबीआई रिसर्च ने मंगलवार को जारी किए नोट में यह बात कही है. नोट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले साल सितंबर से ही सुस्ती की तरफ बढ़ रही है.

भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है
विकास जोशी
  • नई दिल्ली,
  • 19 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 5:32 PM IST

भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है और वह सुस्ती के दौर से गुजर रही है. एसबीआई रिसर्च ने मंगलवार को जारी किए नोट में यह बात कही है. नोट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले साल सितंबर से ही सुस्ती की तरफ बढ़ रही है. एजेंसी ने स्थिति सुधारने के लिए सार्वजनिक खर्च बढ़ाने का सुझाव दिया है.

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जीडीपी में गिरावट टेक्निकल वजहों से : अमित शाह

एसबीआई रिसर्च की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब अमित शाह ने जीडीपी के आंकड़ों में आई कमी के लिए तकनीकी वजहों को जिम्मेदार ठहराया है. हालांकि उन्होंने इन वजहों पर विस्तार से कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. ऐसे समय में इस नोट ने साफ कर दिया है कि अर्थव्यवस्था की यह स्थि‍ति तकनीकी वजहों से तो कतई नहीं है.

पिछले साल से ही सुस्ती के दौर में है इकोनॉमी

रिपोर्ट में कहा गया है, ''हमें ऐसा लगता है कि अर्थव्यवस्था पिछले साल सितंबर महीने से ही सुस्ती के दौर में है. यह सुस्ती तकनीकी तौर पर न लघु अवधि के लिए है और न ही ये क्षणिक है.'' रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था की इस स्थ‍िति ने सुस्ती को लेकर बहस तो शुरू कर दी है कि लेकिन बहस इसको लेकर हो रही है कि यह मंदी क्षणिक रहेगी या लंबे समय तक.

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घटी है जीडीपी की विकास दर

जीडीपी की विकास दर लगातार छठवें क्वार्टर में घटी है और यह तीन साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंची है. जून क्वार्टर में जीडीपी 5.7 फीसदी पर थी. अमित शाह ने इसके लिए तकनीकी वजहों को जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने दावा किया था कि विकास दर वित्त वर्ष 2014 में एनडीए की सरकार आने के बाद 7.1 फीसदी पर पहुंची थी.

सरकार को दी खर्च बढ़ाने की हिदायत

एसबीआई रिसर्च ने सरकार को हिदायत दी है कि अर्थव्यवस्था को बेहतर स्थिति में लाने के लिए खर्च बढ़ाया जाना चाहिए. रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यस्था को वित्तीय सहारे की जरूरत है, ताकि विकास दर बेहतर स्थ‍िति में आ सके. 

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