
नोटबंदी के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा है. अप्रैल से जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भारी गिरावट आई है. इस तिमाही में जीडीपी ग्रोथ घटकर 5.7 फीसदी तक सिमट गया. पिछले तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.1 फीसदी थी. इससे भी पहले जीडीपी की रफ्तार 7.9 फीसदी थी.
केंद्र सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से जून तिमाही में जीडी पी की विकास दर धीमी हो गई है. पिछली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.1 फीसदी थी. इससे पिछले साल जीडीपी की रफ्तार 7.9 फीसदी थी. सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से जून तिमाही में जीडीपी की विकास दर धीमी हो गई है.
इसमें पिछली तिमाही के मुकाबले 0.4 फीसदी की कमी आई है. जीडीपी विकास दर के आंकड़े ऐसे समय में आए हैं, जब आरबीआई की नोटबंदी को लेकर जारी रिपोर्ट पर हंगामा हो रहा है. विपक्षी दलों का आरोप है कि नोटबंदी से जीडीपी को कोई ज्यादा फायदा नहीं हुआ है. ऐसे में देखना होगा कि सरकार जीडीपी की विकास दर धीमी होने के लिए क्या वजह बताती है?
जीडीपी के जून के आंकड़ों ने रॉयटर्स पोल के अनुमान को भी झूठा साबित कर दिया है. 40 अर्थशास्त्रियों के इस पोल में उम्मीद जताई गई थी कि भारत की जीडीपी 6.6 फीसदी की दर से आगे बढ़ेगी. रॉयटर ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा था कि जीएसटी की वजह से कंफ्यूजन बरकरार है. ऐसे में इसका सीधा असर जीडीपी पर पड़ सकता है.
ऑयल प्रोड्यूसिंग ब्लॉक OPEC ने उम्मीद जताई है कि जुलाई से दिसंबर के बीच जीडीपी की विकास दर में सुधार आएगा. OPEC ने जुलाई में जारी अपनी मासिक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया है. रिपोर्ट के मुताबिक विकास दर धीमी होने के पीछे नोटबंदी सबसे बड़ा फैक्टर है. इसमें कहा गया है कि नोटबंदी का असर कुछ समय के लिए ही रहेगा. साल के दूसरी छमाही में जीडीपी की स्थिति सुधर जाएगी और विकास दर में सुधार आएगा.