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ISIS आतंकी आठ साल की बच्ची का दस महीनों तक करते रहे रेप, लड़की ने खुद को लगाई आग

एक जर्मन डॉक्टर के मुताबिक आईएसआईएस आतंकियों ने आठ साल की बच्ची का सैकड़ों बार रेप किया. एक लड़की ने तो ISIS के चंगुल में फिर से फंस जाने के डर से ही खुद जला लिया.

आईएसआईएस के चंगुल से छूटी लड़कियां आईएसआईएस के चंगुल से छूटी लड़कियां
सुरभि गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 03 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 12:53 PM IST

अपनी खौफनाक करतूतों से दुनिया में आतंक मचा रहे आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट का एक और भयानक सच आईएसआईएस की सेक्स स्लेव बनी यजीदी लड़कियों ने बयान किया है. एक जर्मन डॉक्टर के मुताबिक इन आतंकियों ने आठ साल की बच्ची का सैकड़ों बार रेप किया. एक लड़की ने तो ISIS के चंगुल में फिर से फंस जाने के डर से ही खुद जला लिया.

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पिछले अगस्त में जैन इहान शरणार्थी शिविर में एक ऐसी लड़की से मिले, जो 80 फीसदी जली हुई थी. उस लड़की के चेहरे पर नाक और कान नहीं थे. ISIS आतंकियों ने उसका और उसकी बहन का कई हफ्तों रेप किया, जब तक कि वो दोनों वहां से छूटी नहीं.

ISIS के डर से खुद को लगा ली आग
एक दिन शिविर में लड़की ने सपना देखा कि ISIS आतंकी कैंप के बाहर हैं. इस ख्याल से ही लड़की इतना डर गई कि उसने खुद को आग के हवाले कर दिया, जिससे वो इतनी बदसूरत हो जाए कि आतंकी उसे फिर से किडनैप न करें. पीड़ित लड़की का कई बार ऑपरेशन किया जा चुका है. इन्हीं आतंकियों ने एक आठ साल की बच्ची को आठ बार जिस्म के बाजार में बेचा और दस महीनों में सैकड़ों बार उसका रेप किया.

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ISIS के चंगुल से छूटी 11 सौ यजीदी महिलाएं
जर्मन डॉक्टर जैन इहान किजिलहान एक प्रोजेक्ट की अगुवाई कर रहे हैं, जिसमें ISIS के चंगुल से छूटी 11 सौ यजीदी महिलाओं और लड़कियों को जर्मनी लाया गया है. इस प्रोजेक्ट के तहत इन महिलाओं के शारीरिक और मानसिक घाव भरने की कोशिश की जा रही है, ताकि ये एक सामान्य जिंदगी जीने के लिए खुद तैयार कर सकें.

महिलाओं ने सुनाई आपबीती
यह प्रोजेक्ट जर्मनी का बडेन-वर्टमबर्ग स्टेट संचालित कर रहा है. उत्तरी इराक से इन पीड़ित महिलाओं को पिछले साल अप्रैल से लाया जाना शुरू हुआ और इस महीने पीड़ित लड़कियों के आखिरी ग्रुप को लाया गया. इन महिलाओं ने डॉक्टर जैन को अपनी आप बीती सुनाई.

जब 2014 में ISIS जेहादी उत्तरी इराक में यजीदी के गांव में नरसंहार कर रहे थे, हजारों लड़कियों और महिलाओं का अपना सेक्स गुलाम बना रहे, तभी बडेन-वर्टमबर्ग अधिकारियों ने इस प्रोजेक्ट के बारे में सोचा था.

मानसिक मदद की जरूरत
डॉक्टर किजिलहान ने बताया कि जो महिलाएं किसी तरह ISIS की कैद से निकलती हैं, उन्हें उस डर से निकालने के लिए मानसिक तौर पर मदद की जरूरत है. उन्हें सुरक्षित होने का भरोसा देना काफी जरूरी होता है.

 

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