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मुश्किल में AAP, ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में EC ने खारिज की दलीलें, जारी रहेगी सुनवाई

चुनाव आयोग लाभ के पद के मामले में सुनवाई कर रहा है. आम आदमी पार्टी ने अपील की थी कि जब दिल्ली हाई कोर्ट ने नियुक्तियां ही रद्द कर दी तो अब आयोग को सुनवाई करने का ना कोई औचित्य है और न ही जरूरत.

अरविंद केजरीवाल अरविंद केजरीवाल
संजय शर्मा/पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 24 जून 2017,
  • अपडेटेड 4:29 PM IST

चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की संसदीय सचिव के पद पर नियुक्ति को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा रद्द करने के आधार पर आयोग में लाभ के पद को लेकर दायर शिकायत को खारिज कर सुनवाई बंद करने की अर्जी को ठुकराते हुए सुनवाई जारी रखने को कहा है. मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी और निर्वाचन आयुक्त एके जोती ने शुक्रवार को आप विधायकों की अर्जी पर जारी आदेश में कहा है कि उच्च न्यायालय के गत वर्ष आठ सितंबर के आदेश से आयोग में लाभ के पद को लेकर चल रही सुनवाई पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, इसलिये इस मामले में सुनवाई जारी रहेगी.

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हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार द्वारा आप के 21 विधायकों को दिल्ली सरकार में मंत्रियों का संसदीय सचिव नियुक्त करने के फैसले को शून्य और निष्प्रभावी करार दिया था. इस फैसले के हवाले से आप विधायकों ने आयोग में अर्जी दायर कर कहा था कि जब उनकी बतौर संसदीय सचिव नियुक्ति हुई ही नहीं है तब फिर आयोग में उनके खिलाफ लंबित लाभ के पद के मामले में सुनवाई का कोई अर्थ नहीं रह जाता है. लिहाजा इन सभी ने आयोग से उनके खिलाफ शिकायत रद्द करने का अनुरोध किया था. आयोग ने विधायकों का अनुरोध अस्वीकार करते हुए आप विधायकों की संसदीय सचिव के पद पर नियुक्ति को एक तथ्य के रूप में स्वीकार करते हुए कहा कि ये विधायक 13 मार्च 2015 से आठ सितंबर 2016 तक संसदीय सचिव के पद पर थे.

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आयोग ने कहा कि विधायकों द्वारा अदालत के आदेश के आधार पर यह कहना कि उनकी नियुक्ति हुई ही नहीं थी, कानूनी तौर पर यह दलील टिकने लायक नहीं है. आयोग ने इस आधार पर इनकी नियुक्ति में लाभ का पद होने के मामले में की गई शिकायत पर सुनवाई जारी रखने को कहा है. साथ ही राजौरी गार्डन विधानसभा क्षेत्र से विधायक जरनैल सिंह द्वारा विधायक पद से इस्तीफा देने के कारण उन्हें इस मामले में पक्षकारों की सूची से बाहर कर दिया. आयोग ने कहा कि सिंह के इस्तीफे से खाली हुई सीट पर उपचुनाव भी हो चुका है इसलिये अब उन्हें इस मामले में पक्षकार बनाने का कोई अर्थ नहीं रह जाता है. आयोग ने सभी पक्षकारों को सुनवाई की अगली तारीख जल्दी ही सूचित करने को कहा है.

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