
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर सवाल उठा रहे राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग (EC) ने ओपन चैलेंज दिया है. आज से चुनाव आयोग हैकाथॉन का आयोजन कर रहा है. इसमें हर दल को 4 घंटे दिए जाएंगे. इससे पहले चुनाव आयोग ने बताया कि EVM से छेड़छाड़ संभव नहीं है. छेड़छाड़ का दावा कर रही पार्टियों को चार घंटे का वक्त दिया जाएगा. राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि पांच राज्यों की चार EVM को चुन सकते हैं. चुनाव आयोग का यह ओपन चैलेंज हफ्ते भर चलेगा.
चुनाव आयोग से जानिए भारत में EVM से छेड़छाड़ क्यों नहीं संभव है.
1. 2013 के बाद बनी मशीनों में अतिरिक्त सेफ गार्ड हैं. सेल्फ डायग्नोस्टिक सिस्टम एंड टेंपर डिटेक्शन प्रोगाम भी शामिल हैं.
2. EVM पूर्ण स्वदेशी है, कहीं कोई विदेशी पार्ट या सॉफ्टवेयर नहीं है.
3. हर माइक्रो चिप का यूनिक आईडी होता है और हर चिप को डिटेक्ट किया जा सकता है और टेंपर की कोशिश को भी डिटेक्ट किया जा सकता है.
4. मशीनें चुनाव के पहले, बाद में और हमेशा सख्त सुरक्षा में रहती हैं. इसे किसी को छूने या पास जाने की इजाजत नहीं होती है. राजनीतिक दलों के नुमाइंदों की मौजूदगी में स्ट्रॉन्ग रूम खोला जाता है.
5. भारत में इस्तेमाल हो रही दुनिया भर में इस्तेमाल हो रही EVM से कई गुना विकसित, सुरक्षित और पारदर्शी हैं.
6. हमारी ईवीएम सबसे आगे है, जिसका डेटा आंतरिक तौर पर सेफ है.
7. EVM स्टैंड अलोन मशीनें हैं, इनमें कोई फ्रीक्वेंसी रिसीवर नहीं है, इनका वायरलेस, वाई-फाई, ब्लूटूथ या इंटरनेट से जुड़ाव नहीं है.
8. चुनाव के दिन इन भी पोलिंग एजेंट्स के सामने मशीनों के जरिए मॉक पोल होता है.
9. चुनाव आयोग ने बताया कि जर्मनी में तो कोर्ट ने ही वहां ईवीएम मशीनों को खारिज किया था, जबकि भारत में सुप्रीम कोर्ट ने भी EVM की तारीफ की है.
10. USA में 15 राज्यों में भी वीवीपीएटी (वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) का इस्तेमाल होता है, जबकि भारत में 100 फीसदी VVPAT का इस्तेमाल होगा.