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EXCLUSIVE: कन्हैया के नारेबाजी वाले वीडियो से हुई थी छेड़छाड़, 7 में से 2 वीडियो फर्जी पाए गए

इंडिया टुडे ने इस बारे में जानकारी दी थी कि वीडियो से छेड़छाड़ हुई है. फॉरेंसिक लैब की जांच ने इस रिपोर्ट की पुष्टि की है.

इंडिया टुडे ने रिपोर्ट में किया था खुलासा इंडिया टुडे ने रिपोर्ट में किया था खुलासा
केशव कुमार/राहुल कंवल
  • नई दिल्ली,
  • 02 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 9:29 AM IST

जेएनयू में नौ फरवरी को देशद्रोही नारेबाजी के आरोपी कन्हैया कुमार से जुड़े वीडियो से छेड़छाड़ की गई थी. फॉरेंसिक लैब में जांच के बाद पेश किए गए सात वीडियो में से दो को फर्जी पाया गया है. इंडिया टुडे ने इस बारे में जानकारी दी थी कि वीडियो से छेड़छाड़ हुई है. फॉरेंसिक लैब की जांच ने इस रिपोर्ट की पुष्टि की है.

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सात में से दो वीडियो पूरी तरह फर्जी
दिल्ली सरकार के पास फॉरेंसिक जांच के लिए मामले से जुड़े कुल सात वीडियो भेजे गए थे. दिल्ली सरकार के ट्रूथ लैब की ओर से सौंपे गए फाइनल सप्लीमेंट्री रिपोर्ट में बताया गया है कि सात में दो वीडियो पूरी तरह फर्जी हैं. बाकी वीडियो में भी छेड़छाड़ की गई है.

वीडियो से देशद्रोही साबित नहीं कर सकते
इन वीडियोज से जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर देशद्रोही नारेबाजी करने का आरोप साबित नहीं किया जा सकता. दिल्ली सरकार ने जांच रिपोर्ट पर इस बात की पुष्टि की है.

इंडिया टुडे ने की थी वीडियो की पड़ताल
इंडिया टुडे ने 18 फरवरी को अपनी रिपोर्ट में दिखाया था कि सोशल मीडिया के तमाम मंचों पर जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार के भाषण की वायरल हो रही एक क्लिपिंग फैब्रिकेटेड है. इसमें 9 फरवरी के देशविरोधी नारों का ऑडियो, कन्हैया के 11 फरवरी के भाषण पर इंपोज किया गया है. मामला कोर्ट में है और इसका फैसला वही करेगी, लेकिन जिस वीडियो को कन्हैया के 'देशद्रोही' होने का सबूत माना जा रहा है , असल में गौर से देखने पर वीडियो की कलई खुलकर सामने आ जाती है.

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आपस में मेल नहीं खाते ऑडियो और वीडियो
इस वीडियो की जांच करने पर पता चलता है कि ऑडियो और विजुअल दोनों आपस में मेल नहीं खाते. बताया जा रहा है कि वीडियो 11 फरवरी का है और उसमें इस्तेमाल किया गया ऑडियो 9 फरवरी का. यानी वीडियो वह है, जिसमें कन्हैया संघ और बीजेपी के ख‍िलाफ अपनी बात रख रहा है. वह संघवाद से आजादी की बात कर रहा है. जबकि ऑडियो वह जिसमें देशविरोधी नारेबाजी की जा रही है.

तकनीक के सहारे नफरत फैलाने की कोशिश
यानी तकनीक का सहारा लेकर तस्वीर वही रखी गई है, जबकि आवाज बदल जाती है. हालांकि, सोशल मीडिया पर सबूत दिखाया जा रहा है कि 9 फरवरी को देशविरोधी नारेबाजी में कन्हैया भी शामिल था.

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