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ह्यूज को तेज गेंदबाज उठती गेंदों से डराते थे

फिलिप ह्यूज का जन्म 30 नवंबर 1988 को ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स प्रांत के मैक्सविल में हुआ था.

फिलिप ह्यूज फिलिप ह्यूज
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 नवंबर 2014,
  • अपडेटेड 11:42 AM IST

फिलिप ह्यूज का जन्म 30 नवंबर 1988 को ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स प्रांत के मैक्सविल में हुआ था. फिलिप के पिता एक किसान थे और मां इटली की रहने वाली थीं. वह बायें हाथ के बल्लेबाज थे और दायें हाथ से गेंदबाजी करते थे. उन्हें उनके मित्र और परिवार के लोग ह्यूसी नाम से पुकारते थे. दिलचस्प बात यह है कि वह शुरू में रग्बी के खिलाड़ी थे और उन्होंने एक बार ऑस्ट्रेलियन रग्बी लीग में हिस्सा भी लिया था. फिल ने 12 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. 17 साल की उम्र में वह सिडनी ग्रेड क्रिकेट में खेलने चले गए और पहले ही मैच में उन्होंने 147 नाबाद रन बनाए. इस सफलता से उन्हें बहुत शोहरत दिलाई और 2007 अंडर 19 वर्ल्ड कप में उन्हें खेलने का मौका मिला. उसी साल उन्हें सीनियर क्रिकेट में भी मौका मिला. उन्होंने घरेलू क्रिकेट में बहुत रन बनाए और बढ़िया खेल दिखाया.

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फरवरी 2009 में फिल को बड़ा मौका मिला. उन्हें मैथ्यू हैडेन की जगह ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम में जगह दी गई. उन्होंने साउथ अफ्रीका के खिलाफ वैंडरर्स में पहला टेस्ट मैच खेला. वे डेल स्टेन की चौथी गेंद पर बिना रन बनाए आउट हो गए. लेकिन दूसरी पारी में उन्होंने शानदार 75 रन बनाए और वाहवाही जीत ली.

इसके बाद दूसरे टेस्ट में उन्होंने जो कारनामा किया वो आज भी एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट में पदार्पण करने वाले ह्यूज ने करियर के अपने दूसरे ही मैच में शतक लगाया. यह शतक सहारा स्टेडियम किंग्समीड में मार्च 2009 में ठोंका गया. उस समय उनकी उम्र 20 साल 96 दिन थी और इस तरह से टेस्ट मैच में शतक लगाने वाले वह डग वाल्टर्स के बाद पहले ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी हो गए. उन्होंने इसके बाद दूसरी पारी में भी शतक लगाया. इस प्रकार एक टेस्ट की दोनों पारियों में सबसे कम उम्र में शतक बनाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया.

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लेकिन 2009 के बाद तेज गेंदबाजों ने फिल को परेशान करना शुरू कर दिया. वे उनके शरीर के ऊपरी हिस्से पर गेंदें फेंकते थे जिसका उनके पास कोई जवाब नहीं था. उठती हुई गेंदों को खेलने में उन्हें परेशानी होती थी. इससे वो रन बनाने में नाकाम होने लगे और फिर उन्हें टीम से निकाल दिया गया. उसके बाद वह बाहर ही रहे. इस बीच उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ दो टेस्ट खेले. उन्हें घायल रिकी पोंटिंग की जगह टीम में रखा गया था. उसके बाद उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ एक टेस्ट खेला.

2010-11 के ऐशेज सीरीज में उन्हें जगह नहीं दी गई. लेकिन बाद में साइमन कटिच की जगह उन्हें बुलाया गया. उसके बाद की सीरीज में वह श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर गए. श्रीलंका के खिलाफ 2012 में उन्होंने 86 रन बनाए. उसके बाद वह थोड़ा रंग में आने लगे.

वन डे क्रिकेट में उन्होंने बहुत धमाकेदार शुरुआत की और श्रीलंका के खिलाफ पहले मैच में 129 गेंदों पर 112 रन बनाए. दूसरे एकदिवसीय मैच में भी उन्होंने शतक (138 रन) ठोंका. 2012-13 में सफल सीरीज के बाद फिल ने भारत के खिलाफ खेला लेकिन उन्हें खास सफलता नहीं मिली. उन्होंने 8 पारियों में कुल 147 रन बनाए. उनका औसत था 18.37 रन.

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उन्होंने काउंटी क्रिकेट भी खेली. वो हैंपशायर, मिडिलसेक्स और वुरसेस्टरशायर काउंटी के लिए खेले. 2013 की एशेज सीरीज में इंग्लैंड के खिलाफ ह्यूज ने 10वें विकेट के लिए एस्टन अगर के साथ मिलकर 163 रन जोड़े जो तब वर्ल्ड रिकॉर्ड था.

फिल को वन डे टीम का बढ़िया खिलाड़ी माना जा रहा था और समझा जा रहा था कि वह 2015 वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया की ओर से खेलेंगे. लेकिन किस्मत ने उन्हें दगा दे दिया.

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