Advertisement

फिल्म नहीं धारावाहिक लगती है 'अजहर'

खेल के साथ-साथ अजहर का नाम मैच फिक्सिंग में भी आता है जिसकी वजह से उसकी लोकप्रियता एक पल में खत्म हो जाती है, फिक्सिंग के मामले में कोर्ट केस होता है और इन सभी घटनाओं को फिल्म के माध्यम से दर्शाने की कोशिश की गई है.

अजहर फिल्म में इमरान हाशमी अजहर फिल्म में इमरान हाशमी
प्रियंका झा/आर जे आलोक
  • नई दिल्ली,
  • 13 मई 2016,
  • अपडेटेड 1:15 PM IST

फिल्म का नाम: अजहर

डायरेक्टर: टोनी डी सूजा

स्टार कास्ट: इमरान हाशमी, प्राची देसाई, नरगिस फाकरी, गौतम गुलाटी

अवधि: 2 घंटा 11 मिनट

सर्टिफिकेट: U/A

रेटिंग: 2 स्टार

डायरेक्टर टोनी डी सूजा (एंथोनी डी सूजा ) ने 'बॉस' और 'ब्लू' जैसी फिल्मों का डायरेक्शन किया है और पहली बार एक बायोपिक फिल्म डायरेक्ट की है जो मशहूर क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन की जिंदगी पर आधारित है , आइये जानते हैं कैसी बनी है ये फिल्म-

Advertisement

कहानी:-
यह कहानी हैदराबाद के मोहम्मद अजहरुद्दीन (इमरान हाशमी ) की है जिसे बचपन से ही नाना की वजह से क्रिकेट का शौक था, क्रिकेट टीम में सेलेक्शन के साथ साथ उसकी जिंदगी में वाइफ के रूप में नौरीन (प्राची देसाई) की भी एंट्री होती है, और साथ ही कुछ सालों के बाद एक्ट्रेस संगीता (नरगिस फाकरी) से भी अजहर दूसरा निकाह करता है. खेल के साथ-साथ अजहर का नाम मैच फिक्सिंग में भी आता है जिसकी वजह से उसकी लोकप्रियता एक पल में खत्म हो जाती है, फिक्सिंग के मामले में कोर्ट केस होता है और इन सभी घटनाओं को फिल्म के माध्यम से दर्शाने की कोशिश की गई है.

स्क्रिप्ट:-
फिल्म भूतपूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन की जिंदगी पर आधारित है, और सिनेमा की लिबर्टी लेते हुए इसे काफी सजाया भी गया है लेकिन कहनी के दौरान आप अजहर के इमोशंस से खुद को कनेक्ट नहीं कर पाते, रजत अरोड़ा के लिखे हुए डॉयलॉग काफी बनावटी से नजर आते हैं, जहाँ एक तरफ मैरी कॉम, और मिल्खा सिंह की बायोपिक बन चुकी है, तो इस फिल्म की तुलना, उस तरह की बायोपिक फिल्मों से होनी लाजिम है. फिल्म खुद में काफी कन्फ्यूज नजर आती है, जो और भी बेहतर हो सकती थी. इसमें अज़हर को सिर्फ और सिर्फ गुड बुक्स में दिखाने की कोशिश की गई है.

Advertisement

अभिनय:-
नरगिस फाखरी और प्राची देसाई ने किरदार के हिसाब से अच्छा काम किया है लेकिन इमरान हाशमी पूरी फिल्म के दौरान अजहर के किरदार में खुद को टिकाकर रखते हैं. लारा दत्ता का भी ठीक काम है. कुणाल रॉय कपूर भी वकील के रूप में ज्यादा एफर्ट दिखाते हुए नजर आए हैं जो नेचुरल नहीं लगता.

संगीत:-
फिल्म की एक ही सबसे अच्छी बात है, वो है इसका संगीत, जो की रिलीज से पहले ही हिट है.

क्यों देखें:-
अगर इमरान हाशमी के सबसे बड़े भक्त है, तो ही ये फिल्म देखें.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement