
निर्देशक मेघना गुलजार की फिल्म 'तलवार' इन दिनों सुर्खियों में है. यह
फिल्म बड़ी मर्डर मिस्ट्री आरुषि-हेमराज मर्डर की
सच्ची घटना पर आधारित है. इसमें इरफान खान और कोंकणा सेन मुख्य
भूमिका में हैं. इसने एक बार फिर उस खौफनाक कांड की याद ताजा कर दी, जिसने
पूरे देश को झकझोर दिया था. आइए, जानते हैं कि क्या हुआ था उस रात और क्या
हुआ केस का अंजाम.
15-16 मई, 2008 की दरमियानी रात को आरुषि की लाश नोएडा में अपने घर में बिस्तर पर मिली. इसके बाद एक-एक कर इतनी नाटकीय घटनाएं सामने आईं कि पूरा मामला क्रिसी क्राइम थ्रिलर की फिल्म में बदल गया. इसमें अगले पल क्या होगा ये किसी को पता नहीं था. नोएडा के मशहूर डीपीएस में पढ़ने वाली आरुषि के कत्ल ने पास पड़ोस के लोगों से लेकर पूरे देश को हिला दिया.
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सब कुछ इतने शातिर तरीके से अंजाम दिया गया था कि सोचना भी मुश्किल था कि आखिर कातिल कौन हो सकता है. कत्ल के फौरन बाद शक घर के नौकर हेमराज पर जाहिर किया गया. लेकिन अगले दिन जब हेमराज की लाश घर की छत पर मिली तो ये पूरा मामला ही चकरघिन्नी की तरह घूम गया. पुलिस हमेशा की तरह बड़बोले दावे करती रही कि जल्द ही डबल मर्डर का राज सुलझा लिया जाएगा.
पुलिस ने दी हॉरर किलिंग की दलील
बेहद सनसनीखेज तरीके से नोएडा पुलिस दावा करती है कि आरुषि के कातिल कोई और नहीं बल्कि उसके पिता डॉक्टर राजेश तलवार हैं. इस थ्योरी के पीछे पुलिस ने हॉरर किलिंग की दलील रखी. 23 मई, 2008 को पुलिस ने बेटी की हत्या के आरोप में राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन तब तक मामले में इतने मोड़ आ चुके थे कि आरुषि की हत्या का ये मामला एक ब्लाइंड केस बन गया था.
नौकरों पर थी शक की सुई
31 मई, 2008 को आरुषि हत्याकांड की जांच सीबीआई के हवाले कर दी गई. कत्ल के आरोप में डॉक्टर राजेश तलवार सलाखों के पीछे थे. आरुषि केस देश भर में सुर्खियां बना हुआ था. तलवार का नार्को टेस्ट हुआ. शक की सुई तब तक तलवार से हटकर उनके नौकरों और कंपाउंडर तक पहुंच गई थी. तलवार परिवार के करीबी दुर्रानी परिवार का नौकर राजकुमार को गिरफ्तार कर लिया गया.
CBI ने दाखिल की थी क्लोजर रिपोर्ट
इस बीच तलवार 50 दिन जेल में गुजार चुके थे. उन्हें जमानत मिल गई. 2010 में दो साल बाद सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी. सुनवाई चलती रही और फिर शक की सुई आरोपों की शक्ल में एक बार फिर तलवार दंपति पर टिक गई. गाजियाबाद कोर्ट ने तलवार दंपत्ति को सबूत मिटाने का दोषी पाया. दोनों के खिलाफ आरुषि हत्याकांड में शामिल होने के आरोप तय किए गए.
तलवार दंपति को मिली उम्रकैद
कत्ल के चार साल बाद 2012 में आरुषि की मां नूपुर तलवार को कोर्ट में सरेंडर करना पड़ा औऱ फिर जेल जाना पड़ा. नवंबर 2013 में तमाम जिरह और सबूतों को देखने के बाद कोर्ट ने आरुषि के पिता राजेश औऱ मां नूपुर तलवार को उसकी हत्या के जुर्म का दोषी माना. उनको उम्र कैद की सजा सुना दी. इसी के साथ देश की सबसे सनसनीखेज मर्डर मिस्ट्री का पर्दा गिर चुका था.