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PM मोदी ने ली बुनकरों की सुध, 7 अगस्त को पहला हैंडलूम दिवस

वाराणसी से सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 अगस्त को हैंडलूम दिवस मनाने का ऐलान किया है, ताकि भारत की इस विरासत को आगे बढ़ाया जा सके.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो
aajtak.in
  • लखनऊ,
  • 06 अगस्त 2015,
  • अपडेटेड 12:00 AM IST

वाराणसी से सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 अगस्त को हैंडलूम दिवस मनाने का ऐलान किया है, ताकि भारत की इस विरासत को आगे बढ़ाया जा सके.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के हैण्डलूम उद्योग का जायजा लिया गया, तो चौंकाने वाली हकीकत सामने आई. वाराणसी में हथकरघा उद्योग दम तोड़ने के कगार पर है. इस धन्धे में लगे बुनकर बनारस से रोजी-रोटी की तलाश में दूसरे शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं, जिसमें गुजरात भी शामिल है.

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वाराणसी में इस धन्धे में इस वक्त जबरदस्त मंदी चल रही है. यह मंदी तब से शुरू हुई है, जब से नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने हैं. वाराणसी की पहचान गंगा से तो है ही, उसके साथ ही बनारस मशहूर है अपनी बनारसी साड़‍ियों के लिए भी. किसी भी हिन्दू परिवार की बेटी की शादी बिना बनारसी साड़ी पहनाए नहीं होती. इसे बुनने वाले ज्यादातर मुस्लिम हैं.

ऐसे ही कारीगर हैं एक मोहम्मद अशरफ अंसारी. साड़ी बुनना इनका खानदानी पेशा है. इनके घर में कभी 10-12 करघे हुआ करते थे, लेकिन अब सिर्फ 1 बचा है. बैंक का कर्ज भी है इनके ऊपर, जिसकी पिछले 10 महीने से किस्त नहीं जमा कर पाए हैं. अशरफ का कहना है कि हालात अगर यही रहे, तो जैसे बाकी बुनकर बनारस छोड़कर भाग रहे हैं, वे भी अपने परिवार को लेकर यहां से निकल लेंगे.

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अकेले वाराणसी में बुनकरों की तादाद 2 लाख है, जबकि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 10 लाख लोग इस धन्धे से जुड़े हैं. सूत्रों के मुताबिक, साल भर पहले वाराणसी में हथकरघों की सख्या लगभग 50 हजार थी, जो अब घटकर 35 से 40 हजार हो गई है. दूसरी ओर मशीन से चलने वाले पावरलूम की संख्या बढ़ती जा रही है. उधर मार्केट में जबरदस्त मंदी है, जिससे बुनकरों का तैयार माल गद्दी पर ही रह जा रहा है. उसके खरीददार नहीं मिल रहे हैं. मार्केट पहले भी खराब था, लेकिन पिछले एक साल से हालात बद से बदतर हो गए हैं. बुनकरों को यह समझ नहीं आ रहा कि है कि आखिर ये क्यों हो रहा है?

ऐसा नहीं है कि बुनकरों की बेहतरी के लिए कोई प्रयास नही किए जा रहे हैं. खासकर नरेन्द्र मोदी के बनारस से सांसद बनने के बाद बुनकरों की बेहतरी के लिए कई सारे स्कीमों का ऐलान किया गया है, जिसमें मेगा क्लस्टर क्राफ्ट विलेज और बुनकरों को सीधे बैंक से जोड़ने की योजनाओं का ऐलान किया गया है. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी के जयापुर में ट्रेड फैशिलिटेशन सेन्टर का भी ऐलान किया है, जहां से बुनकर अपना माल सीधे देश-विदेश के ग्राहकों को बेच सकेंगे. लेकिन तमाम घोषणाओं के बावजूद हालात खराब होते जा रहे हैं. सरकार भी बेहद चिन्तित है. उसका कहना है कि ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे बुनकरों का पलायन रुक सके.

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