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मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अब तक महाराष्ट्र के पांच विधायक इस्तीफा दे चुके हैं. महाराष्ट्र विधानसभा के सूत्रों ने बताया कि भरत भाल्के (कांग्रेस), राहुल अहेर (भाजपा) और दत्तात्रेय भारणे (राकांपा) ने कल विधायक पद से इस्तीफ़ा दिया.
इससे पहले कल हर्षवर्धन जाधव (शिवसेना) और भाऊसाहब पाटिल चिकटगांवकर (राकांपा) ने आरक्षण की मांग के समर्थन में इस्तीफा देने की पेशकश की थी. जाधव ने आज सुबह विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय को अपना इस्तीफा पत्र सौंपा. चिकटगांवकर ने कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को ईमेल के जरिये भेज दिया.
मालूम हो कि विधायकों ने इस्तीफे नवी मुंबई के कोपरखैराना में भड़के दंगों के बाद दिया है. यहां गुरुवार को मराठा आरक्षण को लेकर भड़की हिंसा में एक 25 वर्षीय युवक राहुल तोड़कर की मौत हो गई. इससे नाराज होकर विधायकों ने इस्तीफ़ा दे दिया.
बताया जा रहा है कि राहुल के चार साथी अभी भी घायल हैं. उनका इलाज जारी है. फिलहाल कोपरखैराना इलाके में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है. स्थिति को देखते हुए यहां भारी पुलिस बल तैनात किया गया है.
30 फीसदी हैं मराठा समुदाय...
देखा जाए तो राजनीतिक तौर पर प्रभावशाली मराठा समुदाय के लिए आरक्षण का मामला बेहद विवादास्पद मुद्दा है. महाराष्ट्र की आबादी में करीब 30 फीसदी मराठा हैं. सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए मराठा समुदाय बड़ी भूमिका अदा करता है.
इसके पहले समुदाय के नेता अपनी मांगों को लेकर विभिन्न जिलों में रैलियां निकाल चुके हैं. पिछले साल मुंबई में मराठा क्रांति मोर्चा ने एक बड़ी रैली का आयोजन किया था.
बीजेपी के लिए गले की फांस बना मराठा आरक्षण...
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन देवेंद्र फडणवीस की सरकार के गले की फांस बन गया है. अगले साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में उठी मराठा आरक्षण की मांग ने बीजेपी के लिए भी मुसीबत खड़ी कर दी है. फडणवीस सरकार चाहकर भी इसे अमलीजामा पहनाती है तो ओबीसी समुदाय की नाराजगी जहां उठानी पड़ेगी, वहीं बीजेपी शासित दूसरे राज्यों में भी इस तरह की मांग उठ सकती है. इसी के मद्देनजर पार्टी इस मामले पर पूरी तरह से खामोशी अख्तियार किए हुए है.
कांग्रेस ने पास किया था विधानसभा में आरक्षण बिल...
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में पिछली कांग्रेस सरकार ने मराठों को आरक्षण से जुड़ा बिल विधानसभा में पास कर दिया था, लेकिन कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने पिछडा वर्ग आयोग से मराठा समाज की आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर रिपोर्ट मांगी थी.
पिछले साल भी मराठा समुदाय आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन के लिए सड़क पर उतरा था. इसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सीधे तौर पर आरक्षण की मांग को तो नहीं माना, लेकिन उस दिशा में आगे बढ़ने को लेकर अहम कदम उठाने की बात कही थी.