
आतंकवाद और जाकिर नाइक के भड़काऊ भाषणों के बीच कनेक्शन की जांच के बीच उसके मददगारों में एक पूर्व केंद्रीय मंत्री का नाम उछला है.
तत्कालीन अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के. रहमान खान ने नाइक के खिलाफ शो रोकने के लिए सूचना प्रसारण राज्य मंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया था. मंत्री ने पत्र लिखने की बात मानी, लेकिन विवादों से पल्ला झाड़ा. उन्होंने कहा कि वह सारी कार्रवाई महज रस्मी थी.
जांच एजेंसियों के अलर्ट के बावजूद सरकार ने नहीं की कार्रवाई
जाकिर नाइक पर अगर वक्त रहते नकेल कसी जाती तो आज यह कथित इस्लामिक गुरु कानून के शिकंजे में होता. खुफिया एजेंसियां साल 2009 से ही उससे जुड़े अलर्ट गृह मंत्रालय को देती रही हैं. लेकिन तत्कालीन सरकार ने उसके खिलाफ कार्रवाई तो दूर उल्टे मीडिया को ही एडवाइजरी जारी कर उसका मुंह बंद करने की कोशिशें की.
मंत्री ने की थी जाकिर नाइक की मदद
तत्कालीन अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के. रहमान खान ने 15 फरवरी 2013 को तब के सूचना-प्रसारण राज्य मंत्री मनीष तिवारी को एक पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने एक टीवी चैनल और एक संस्था पर जाकिर नाइक के खिलाफ दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया था.
मंत्रालय ने न्यूज चैनल को भेजा था नोटिस
उस पत्र की कॉपी 'आज तक' के पास मौजूद है. पत्र में लिखा गया था कि एक न्यूज चैनल जाकिर नाइक को बदनाम कर रहा है. पत्र के जवाब में 7 अगस्त 2013 को सूचना प्रसारण मंत्रालय की तरफ से न्यूज चैनल को नोटिस जारी करके जवाब भी मांगा गया था. उसकी कॉपी भी 'आज तक' के पास मौजूद है.
जाकिर की संस्था ने की थी मंत्री से शिकायत
दरअसल ये सरकारी खेल उस पत्र पर हुई कार्रवाई थी, जो जाकिर नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन ने तत्कालीन अल्पसंख्यक मंत्री के. रहमान खान को लिखी थी. इसमें कहा गया था कि एक न्यूज़ चैनल जाकिर नाइक को आतंकवाद का समर्थक प्रचारित कर रहा है.
मंत्री के लिए Respected Brother का संबोधन
इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन की ओर से लिखे पत्र की शुरुआत में मंत्री के. रहमान खान को Respected Brother लिखकर संबोधित किया गया था. यह इस बात की तरफ शक जताता है कि जाकिर नाइक की राजनीतिक गलियारों में भी अच्छी-खासी पैठ और पहुंच थी.