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आज ही के दिन साल 1900 में जन्में अशफाकुल्ला खान को कलम का क्रांतिकारी कहा जाता है. गरम दल के नेताओं के सात क्रांति की अलख जगाने वाले खान कलम से कई देशभक्ति कविताएं भी लिखते थे, जो दूसरे क्रांतिकारियों में देशभावना फैलाती थी. आइए जानते हैं इस महान क्रांतिकारी के उन योगदान के बारे में जो हमेशा याद रखे जाएंगे...
अशफाकुल्ला खान काकोरी कांड के लिए जाने जाते हैं, जिन्होंने अपने साथियों के साथ साल 1925 में 9 अगस्त को काकोरी कांड को अंजाम दिया था. इस दौरान उन्होंने अंग्रेजों के हथियार के साथ कई अन्य सामान लूट लिए.
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10 नौजवानों की टीम ने इस ट्रेन से सरकारी खजाना लूटा और उससे अंग्रेजी हुकूमत हिल गई थी. इसके बाद अंग्रेजी हुकुमत ने इन क्रांतिकारियों को पकड़ने का काम तेज कर दिया था.
इस दौरान गलती से एक चादर वहां छूट गई थी, जो क्रांतिकारी अपने साथ लाए थे. साथ ही इस कांड की जांच के लिए अंग्रेजों ने स्कॉटलैंड से पुलिस बुलाई. इस जांच में कई लोगों को पकड़ा गया.
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26 सितंबर 1925 को बिस्मिल समेत करीब 40 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन खान चंद्रशेखर आजाद के साथ भागने में सफल रहे. खान शाहदहांपुर से बनारस चले गए और काम करने लगे. लेकिन जब वो दिल्ली आए तो उनके एक पठान दोस्त ने उनके मुखबिरी कर दी और दिल्ली में उन्हें भी अरेस्ट कर लिया गया. उसके बाद उन्हें फैजाबाद जेल भेज दिया गया.
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जेल में उन्हें सरकारी गवाह बनाकर छोड़ने के लिए लालच दिए गए, लेकिन उन्होंने लालच लेने से मना कर दिया. 22 अगसत 1927 को रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकुल्लाह खान, राजेंद्र नाथ लाहिड़ी और ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा सुना दी गई. उसके बाद 19 दिसंबर 1927 को उनकी फांसी का दिन तय कर दिया गया.