
पाकिस्तान से भारत आकर अपने बिछड़े परिवार को ढूंढती गीता के बारे में झारखण्ड के दो परिवारों ने दावा पेश किया है. दरअसल पाकिस्तान से लौटने के बाद बीते दो सालों से गीता के परिजनों का पता नहीं चल सका है.
इस बीच गढ़वा के एक दंपत्ति ने दावा किया है कि गीता उनकी बेटी है. वहीं जामताड़ा के नारायणपुर प्रखंड के एक परिवार ने भी गीता को अपनी बेटी बताया है. अब राज्य सरकार ने इन दोनों परिवार के दावों को जांचने के लिए डीएनए टेस्ट कराने का फैसला लिया है.
गढ़वा के दंपत्ति का गीता पर दावा
गढ़वा जिले के रंका प्रखंड के सुदूर वन क्षेत्र स्थित बांदु चुतरु गांव में रहने वाले विजय राम के परिवार का मानना है कि गीता उनके परिवार से है. दरअसल विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ गीता की प्रसारित तस्वीरें देखने के बाद इस परिवार ने दावा किया है कि गीता उन्ही की सालों पहले बिछड़ी बेटी है.
घरवालों के मुताबिक उस वक्त गीता का नाम टुन्नी था. परिवार वालों के मुताबिक टुन्नी की शादी बिहार के सासाराम में साल 2008 में हुई थी, जहां से एक दिन वह अचानक गायब हो गयी. गीता ना तो बोल सकती है और ना ही अच्छी तरह सुन सकती है. गीतो को अपनी बेटी बताने वाले उसके पिता भी न तो ठीक से सुन सकते हैं और अच्छी तरह बोल पाते हैं, लेकिन पिता की आंखों ने अपनी बेटी को पहचान लिया. वह उंगली का इशारा कर बताते हैं कि वीडियो में दिख रही लड़की उन्हीं की बेटी है. तेज आवाज में पूछने पर वह इतना ही कहते हैं कि वह हमारी बेटी है. उधर गीता की मां होने का दावा करने वाली माला देवी कहना है, "कोई कितना भी दावा करे, लेकिन गीता उन्हीं की बेटी है. साथ ही उनका कहना है कि सरकार उनकी बेटी ला कर दे और उनकी सुनी गोद को भरे."
जामताड़ा से भी एक परिवार आगे आया
जामताड़ा के सोखा किस्कू भी गीता को अपनी बेटी बताते हैं. गीता से मिलने के लिया वह दो साल से प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण इस परिवार को अब तक सफलता नहीं मिल पाई है. किस्कू ने बताया, "गीता का असली नाम मिलोनी है, जो मूक-बधिर है. जुलाई 2003 में 12 वर्ष की उम्र में गीता लापता हो गई थी. काफी खोजबीन की, लेकिन पता नहीं चल पाया. अक्टूबर 2015 में उनकी बड़ी बेटी चांदमुनी ने टीवी पर चल रहे समाचार में गीता को देखा तो उसने माता-पिता को इसकी जानकारी दी. टीवी में देखते ही उसने गीता को पहचाना लिया.
लोगोनी सोरेन खुद को गीता की मां होने का दावा करती हैं और अपनी बेटी से मिलने को बेताब हैं. परिवारवाले गीता के शरीर पर टैटू होने का दावा करते हुए बताते हैं कि यह आदिवासी समाज का प्रतीक चिह्न है, जो गीता के बदन पर है.
उन्होंने कहा कि वे डीएनए जांच कराने को तैयार हैं. छह बहनों में गीता दुसरे नंबर की बहन है. वहीं जामताड़ा के DC का कहना है कि उन्होंने किस्कू परिवार के आवेदन को विदेश मंत्रालय भेज दिया है, जैसा आदेश आएगा वैसी कार्रवाई की जाएगी.
गीता पर हाथ रखकर लोग हमेशा सच बोलने की कसमें लेते हैं, लेकिन इस गीता के लिए वे कितना सच बोल रहे हैं, यह तो अब जांच के बाद ही मालूम चल पाएगा. वैसे समय का तकाजा भी है कि अब गीता को उसका अपना परिवार मिल ही जाना चाहिए.