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गिरिराज सिंह बोले- देश में बने जनसंख्या नीति, वर्ना 10 साल बाद पानी भी नहीं मिलेगा

गिरिराज सिंह ने कहा कि जो भी देश का हित चाहता है, फिर चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों न हो, उसे जनसंख्या नीति का समर्थन करना चाहिए.

गिरिराज सिंह गिरिराज सिंह
अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 13 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 9:36 PM IST

बीजेपी सांसद और बिहार के दिग्गज नेता गिरिराज सिंह ने एक बार फिर देश में जनसंख्या नीति की वकालत की है. 'आज तक' से खास बातचीत में सिंह ने कहा कि देश में जनसंख्या का असंतुलन है. यह असंतुलन दो वर्गों के बीच है.

गिरिराज सिंह ने कहा कि जो भी देश का हित चाहता है, फिर चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों न हो, उसे जनसंख्या नीति का समर्थन करना चाहिए.

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पढ़िए, गिरिराज सिंह से बातचीत के प्रमुख अंश-

सवाल- आपका क्यों लगता है कि जनसंख्या को लेकर देशभर में एक कानून होना चाहिए?

जवाब- इसलिए लगता है कि भारत को विकास की ऊंचाइयों पर लेकर जाना मोदी और देशवासियों का सपना है. हम प्रतिवर्ष एक ऑस्ट्रेलिया पैदा कर रहे हैं. अगर आज चीन एक नीति नहीं लाया होता तो आप समझ सकते हैं और 50 करोड़ जनसंख्या रोकने में चीन सफल रहा. आज चीन उस विकास की ऊंचाई पर ना पहुंचता. 2050 तक 10 आदमी में एक आदमी को पानी मुश्किल हो जाएगा.

सवाल- सवाल उठता रहा है कि जनसंख्या में इमबैलेंस है. एक वर्ग की जनसंख्या ज्यादा बढ़ रही है और एक ही कम. आपकी पार्टी के लोग बार-बार यह सवाल उठाते रहे हैं. आप ने भी कहा है कई बार?

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जवाब- बिल्कुल सही है. जिन लोगों ने इसको नहीं कबूला है उनको कबूल करना पड़ेगा देश हित में. अगर भारत का हित चाहते हैं तो. आज मैं देखता हूं हमारे शेड्यूल कास्ट शेडूल ट्राइव भाई हैं उन्होंने भी स्वीकार किया है. आज हमें दो-तीन-चार बच्चे आ रहे हैं नए लड़कों में. जब वह स्वेच्छा से स्वीकार कर लिए हैं. गरीबी है, अशिक्षा है. जो लोग तर्क देते हैं कि अशिक्षा है. गरीबी है. यह मानसिकता है. गरीबी और अशिक्षा नहीं है. जिन लोगों ने नहीं स्वीकारा है. चाहे वह हिंदू हो मुसलमान हो. समाज के आईने में देखें कि किन लोगों ने स्वीकारा नहीं है.

इंडोनेशिया में कानून बन सकता है, मलेशिया में कानून बन सकता है. मुस्लिम मुस्लिम राष्ट्र बांग्लादेश की हिमायत कर रहा है, तो भारत में क्यों नहीं. क्या भारत में यह शरियत कानून लागू होता है. ऐसा कड़ा कानून जो हिंदू को भी लागू हो मुसलमान पर भी लागू हो सिख पर भी लागू हो इसाई पर भी लागू हो जैन पर भी हो. इतना कड़ा कानून हो कि जो ना माने उसके वोटिंग राइट खत्म कर देना चाहिए. उस पर कानूनी कार्रवाई कर देनी चाहिए. यह भारत के विकास के लिए अगर यह कानून ने बना तो ना भारत में विकास होगा ना सामाजिक संतुलन रहेगा.

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