
देश की राजधानी में बढ़ते वायु और ध्वनि प्रदूषण के मद्देनजर दिल्ली सरकार इस दिवाली कई स्कूलों तक पहुंचने के प्लान में है. कई स्कूलों ने तो पटाखों को ना कहने का अभियान अभी से शुरू कर दिया है.
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CBCB) की मानें तो वायु स्वच्छता का गिरता स्तर कई तरह की श्वास संबंधी दिक्कतें लाएगा. अभी हाल में सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के आंकड़ों पर नजर डालें तो पर्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और PM 10 का आंकड़ा 120.8 और 248 माइक्रोग्राम तक पहुंच गया है. इस दिवाली पटाखों के इस्तेमाल के बाद वायू प्रदूषण में बेतहाशा वृद्धि की संभावना है.
पिछले वर्ष दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 'गो ग्रीन' अभियान के तहत दिल्ली के 2000 शैक्षणिक संस्थानों को पटाखों का इस्तेमाल न करने के बाबत पत्र लिखा था. सरकार ने स्कूलों से जागरुकता के लिए नुक्कड़ नाटक, सेमीनार, वर्कशॉप और वादविवाद प्रतियोगिताएं भी आयोजित करने को कहा था. इस वर्ष भी स्कूलों ने नए-नए तकनीकों से स्टूडेंट्स तक पहुंचने का प्लान तैयार किया है.
ममता मॉडर्न सीनियर सेकंडरी स्कूल की प्रिंसिपल पल्लवी शर्मा कहती हैं कि वे स्कूल के भीतर और बाहर जागरुकता के लिए रैली आयोजित करने की प्लानिंग कर रही हैं ताकि आम जनता को भी पटाखों से हो रही हानि से अवगत कराया जा सके. वह छोटे बच्चों में जागरुकता फैलाने के लिए सीनियर स्टूडेंट्स को भी आगे आने का आह्वान कर रही हैं. वह इसके मद्देनजर पोस्टर, प्लेकार्ड बनाने और रैली के दौरान नारे लगाने की भी बात कहती हैं.
इसी तरह रेयान इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल सुलोचना राजा भी अपने स्कूल असेंबली के दौरान जागरुकता फैलाने और सफदरजंग अस्पताल से त्वचा विज्ञानी को बुलाने और पटाखों से होने वाली हानि के मद्देनजर बच्चों से बातचीत का जिक्र करती हैं. इस बीच कई स्कूल निजी स्तर पर जागरुकता अभियान चला रहे हैं.