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बॉलीवुड के दिग्गज गायक मुकेश को गूगल-डूडल ने दी श्रद्धांजलि

दिग्गज प्लेबैक सिंगर दिवंगत मुकेश को उनकी 93वीं जयंती पर गूगल-डूडल ने श्रद्धांजलि दी.

दिग्गज प्लेबैक सिंगर मुकेश दिग्गज प्लेबैक सिंगर मुकेश
पूजा बजाज/IANS
  • नई दिल्ली,
  • 22 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 2:07 PM IST

सर्च इंजन गूगल ने शुक्रवार को डूडल के जरिए बॉलीवुड के दिग्गज प्लेबैक सिंगर दिवंगत मुकेश को उनकी 93वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी.

'राज कपूर की आवाज' के नाम से लेकप्रिय मुकेश चंद माथुर का जन्म 22 जुलाई, 1923 को दिल्ली में हुआ था और लगभग चार दशक के अपने लंबे करियर में वह संगीत की समृद्ध विरासत छोड़ गए.

गूगल ने अपने डूडल पर दिवंगत निर्देशक यश चोपड़ा की सबसे लोकप्रिय रोमांटिक फिल्म 'कभी-कभी' के एक दृश्य को कार्टून के रूप में दर्शाकर मुकेश को मुस्कराते चेहरे के साथ दिखाया है. इसमें मुकेश के हाथों में एक माइक्रोफोन भी नजर आ रहा है.

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मुकेश के एक दूर के रिश्तेदार और बॉलीवुड के जाने-माने करेक्टर एक्टर रहे मोतीलाल ने गायक के हुनर को पहचाना था. मुकेश ने उनकी बहन की शादी पर एक गीत गाया था, जिसके बाद वह गायक को लेकर मुंबई आ गए. इसके बाद मोतीलाल ने मुकेश को पंडित जगन्नाथ प्रसाद से संगीत में प्रशिक्षण दिलाया.

मुकेश को 1945 में आई फिल्म 'पहली नजर' में मोतीलाल की आवाज बनने का मौका मिला और उनका पहला हिन्दी गाना था 'दिल जलता है, तो जलने दे'. मुकेश दिग्गज गायक के.एल. सहगल के काफी बड़े प्रशंसक थे और करियर के शुरुआती दिनों में उनके द्वारा गाए गीतों में सहगल के अंदाज की झलक नजर आती थी.

प्रतिष्ठित संगीतकार नौशाद अली ने तब मुकेश को सहगल की छाया से बाहर निकलने में और उन्हें अपनी एक अलग पहचान बनाने में मदद दी. कुछ समय बाद दिग्गज प्लेबैक सिंगर अपनी अनूठी और सुरीली आवाज के दम पर बॉलीवुड के प्रतिष्ठित दिग्गज गायकों मोहम्मद रफी और किशोर कुमार की सूची में शुमार हो गए. प्लेबैक सिंगर्स की इस तिकड़ी ने फिल्म 'अमर अकबर एंथनी' में लता मंगेशकर के साथ 'हमको तुमसे हो गया है प्यार क्या करें' गाना गाया.

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अपने लंबे संगीत करियर में मुकेश ने कई लोकप्रिय और यादगार गीत गाए, जिनमें 'चंदन सा बदन (सरस्वतीचंद्र)', 'चल री सजनी, अब क्या रोके (बम्बई का बाबू)', 'कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है और मैं पल दो पल का शायर हूं (कभी-कभी)', 'क्या खूब लगती हो, बड़ी सुंदर दिखती हो (धर्मात्मा)', 'सब कुछ सीखा हमने, न सीखी होशियारी (अनाड़ी)', 'सावन का महीना, पवन करे शोर (मिलन)' और 'होटों पे सच्चाई रहती है (जिस देश में गंगा बहती है) जैसे कई गाने हैं.

मुकेश को 'रजनीगंधा' फिल्म में गाए गाने 'कई बार यूं ही देखा है' के लिए 1974 में नेशनल फिल्म अवॉर्ड समारोह में सर्वश्रेष्ठ प्लेबैक सिंगर के खिताब से भी नवाजा गया था.

अमेरिका में एक स्टेज शो के दौरान दिल का दौरा पड़ने से 27 अगस्त, 1976 को मुकेश का निधन हो गया. वह 53 साल के थे.

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