
मोदी सरकार ने राजनीतिक दलों की फंडिग (पॉलिटिकल फंडिंग) व्यवस्था में सुधार लाने के लिए वार्षिक बजट में कई अहम प्रावधान किए हैं. बजट के जरिए सरकार ने राजनीतिक दलों को 2000 रुपये से अधिक कैश चंदा लेने से प्रतिबंधित कर दिया है. 2000 रुपये से अधिक चंदा चेक अथवा डिजिटल ट्रांजैक्शन के जरिए लेना अनिवार्य करने के साथ¬-साथ सभी दलों को इनकम टैक्स रिटर्न भरने की अनिवार्यता कर दी है.
इन प्रावधानों के अलावा एक अहम घोषणा और की गई है जो कि राजनीतिक हल्कों में पहली बार सुनी गई. केन्द्र सरकार इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने जा रही है और इसके लिए वह रिजर्व बैंक के नियमों में संशोधन करने की तैयारी में है. इस घोषणा के बाद सबके मन में एक सवाल है कि क्या हैं ये इलेक्टोरल बॉन्ड? वहीं क्या ये रिजर्व बैंक के किसी सामान्य बॉन्ड के तर्ज पर खरीदे और बेचे जाएंगे और इस खरीद फरोख्त में राजनीतिक दलों की क्या भूमिका रहेगी.
क्या होता है रिजर्व बैंक का बॉन्ड
केन्द्रीय रिजर्व बैंक देश में करेंसी के संचार और क्रेडिट व्यवस्था को रेगुलेट करता है. वित्त मंत्रालय के कर्ज के बोझ को कम करने के लिए रिजर्व बैंक समय-समय पर कई तरह के बॉन्ड जारी करता है. इन बॉन्ड को 5 साल की मैच्योरिटी पीरियड के साथ जारी किया जाता है, हालांकि मैच्योरिटी से पहले भी इन बॉन्ड्स को मार्केट में बेचकर निवेश किए हुए पैसे को निकाला जा सकता है. रिजर्व बैंक के जारी इन बॉन्ड्स को सिर्फ भारतीय नागरिक और गैर-प्रवासी भारतीयों को ही खरीदने की इजाजत होती है.
क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड
केन्द्र सरकार द्वारा बजट में दी गई सीमित जानकारी से सिर्फ यह समझा जा सकता है कि प्रस्तावित इलेक्टोरल बॉन्ड का इस्तेमाल देश में पॉलिटिकल फंडिग के लिए किया जाएगा.
इलेक्टोरल बॉन्ड के 3 खिलाड़ी
इस इलेक्टोरल बॉन्ड में तीन खिलाड़ी होंगे. पहला डोनर, जो राजनीतिक दलों को फंड डोनेट करना चाहता है. वह कोई व्यक्ति अथवा संस्था अथवा कंपनी हो सकता है. दूसरा, देश में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दल. और तीसरा देश का केन्द्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया.
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दुनिया में पहली बार भारत में होगा जारी
पॉलिटिकल फंडिग और राजनीति में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के उद्देश्य के साथ भारत पहला देश होगा जो इस तरह का बॉन्ड जारी करेगा. वहीं कुछ देशों में राजनीतिक पार्टियों का पूरा खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता है जिससे राजनीतिक दलों में भ्रष्टाचार न पनपने पाए. इस बॉन्ड के मदद से राजनीतिक दलों को मिलने वाले ब्लैकमनी को पूरी तरह से व्हाइट रखने की कोशिश की जाएगी.
इलेक्टोरल बॉन्ड की कुछ खास बातें
- इस बॉन्ड को कोई नोटीफाइड बैंक जारी करेगा.
- इस बॉन्ड को सिर्फ चेक अथवा डिजिटल पेमेंट करके खरीदा जा सकेगा.
- डोनर द्वारा खरीदे गए बॉन्ड को स्कीम के तहत तय समय के लिए राजनीतिक दलों को दिया जाएगा.
- राजनीतिक दल अपने नोटिफाइड बैंक अकाउंट के जरिए इन बॉन्ड को कैश करा सकते हैं.
- इस बॉन्ड के लिए देश के सभी राजनीतिक दल को एक बैंक अकाउंट चुनाव आयोग के पास नोटिफाई कराना होगा जिसमें वह इस बॉन्ड के पैसे को प्राप्त कर सकते हैं.
- यह इलेक्टोरल बॉन्ड एक बेयरर चेक की तरह होगा जिससे बॉन्ड के जरिए डोनेशन देने वालों का नाम गुप्त रखा जा सके.