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वेंकैया बोले- GST पर बन चुकी मोटी सहमति, संसद के इसी सत्र में पारित होने की उम्मीद

नायडू यहां साउथ इंडियन फिल्म चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से आयोजित एक कार्य्रकम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘संसद में सोमवार को क्या होने जा रहा है इस पर समूचे देश की निगाह है. मोटी सहमति बनी है, फिर भी कुछ मुद्दे हैं जिन पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ध्यान दे रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू
अंजलि कर्मकार
  • कोयंबटूर,
  • 17 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 12:28 AM IST

केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को लेकर ‘मोटी सहमति’ बनने का दावा किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र इस विधेयक को संसद के मानसून सत्र में पारित कराने को लेकर ‘बहुत गंभीर’ है. संसद का मानसून सत्र सोमवार से शुरू होगा.

वेंकैया नायडू ने इस कर की अधिकतम सीमा को संविधान संशोधन विधेयक में ही शामिल किए जाने की मांग को यह कहते हुए एक तरह से खारिज कर दिया कि यह ‘व्यावहारिक’ नहीं है और इसकी सलाह नहीं दी जा सकती. केंद्रीय शहरी विकास मंत्री ने कहा कि सरकार ‘सभी सम्बद्ध दलों’ के साथ इस मामले को आगे बढ़ा रही है और उसे इसके संसद के मानसून सत्र में पारित होने की उम्मीद है.

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समय की मांग है जीएसटी
नायडू यहां साउथ इंडियन फिल्म चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से आयोजित एक कार्य्रकम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘संसद में सोमवार को क्या होने जा रहा है इस पर समूचे देश की निगाह है. मोटी सहमति बनी है, फिर भी कुछ मुद्दे हैं जिन पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ध्यान दे रहे हैं. जीएसटी समय की मांग है. इस महत्वपूर्ण विधेयक पर कांग्रेस का समर्थन हासिल करने के लिए नायडू ने पिछले सप्ताह राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद से बात की थी.

ये होंगे जीएसटी के फायदे
मंत्री ने कहा कि अगर जीएसटी लागू होती है तो इससे कारोबारियों का उत्पीड़न कम होगा, बिचौलियों द्वारा शोषण घटेगा और भ्रष्टाचार भी कम होगा. इसलिए सरकार इस विधेयक को लेकर बहुत गंभीर है और हम सभी सम्बद्ध पक्षों के साथ इसे आगे बढ़ा रहे हैं. उम्मीद है कि संसद के आगामी सत्र में जीएसटी विधेयक पारित हो जाएगा.

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तमिलनाडु ने किया जीएसटी बिल का विरोध
नायडू ने कहा, ‘कुछ एक आपत्तियों के साथ जीएसटी बिल पर एक व्यापक आमसहमति है. एक विनिर्माण राज्य होने के नाते तमिलनाडु ने बिल का विरोध किया है. कांग्रेस संविधान संशोधन विधेयक में कर दर की सीमा चाहती है, लेकिन यह व्यवहारिक नहीं है. उन्होंने कहा, ‘आम सहमति से बिल पारित करना चाहते हैं और न कि बहुमत के जरिये.’ बता दें, जीएसटी बिल पिछले 8 साल से लटका हुआ है.

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