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8वीं कक्षा तक स्टूडेंट को फेल नहीं करने की पॉलिसी खत्म करना चाहती है केंद्र सरकार

सरकारी स्कूलों में मानव संसाधन मंत्रालय (HRD) नो डिटेंशन पॉलिसी (आठवीं कक्षा तक स्टूडेंट को फेल नहीं करना) को खत्म करने वाली है.

Govt wants to end no detention policy in Govt Schools Govt wants to end no detention policy in Govt Schools
स्नेहा/अनु जैन रोहतगी
  • नई दिल्ली,
  • 03 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 1:07 PM IST

मानव संसाधन मंत्रालय (HRD) नो डिटेंशन पॉलिसी (आठवीं कक्षा तक स्टूडेंट को फेल नहीं करना) को खत्म करने वाली है.

मंत्रालय इसे बदलने या पूरी तरह से खत्म करने के लिए काफी इच्छुक है. खास तौर पर 5वीं और 8वीं क्लास में एग्जाम सिस्टम को शुरू कर पास फेल सिस्टम को दोबारा लागू करवाने के लिए जोर शोर से काम भी चल रहा है.

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खत्म करने के पीछे कई तकनीकी अड़चने आडें आ रही हैं. इसमें सबसे अहम है यदि इस पॉलिसी में कुछ बदलाव लाना है तो राइट टू एजूकेशन एक्ट में संशोधन करना जरूरी है. मतलब बिल संसद में पेश हो, पास हो और नए कानून का नोटिफिकेशन जारी किया जा सके.

जिस तरह से संसद में लगातार गतिरोध चल रहा है और कई अहम बिल अटके पड़े हैं ऐेसे में इस बिल को पास करनावा अपने आप में टेढी खीर है और लंबा समय खींच सकती है. इसी कारण अब मानव संसाधन मंत्रालय इस मुद्दे पर अब कानून मंत्रालय की राय लेने की योजना बना रहा है.

मंत्रालय के एक उच्च अधिकारी के अनुसार कानून मंत्रालय से यह भी पूछने की बात चल रही है कि क्या एक्जिीक्यूटिव ऑर्डर के जरिए 5 वीं और 8 वीं कक्षा में एग्जाम सिस्टम यानी पास फेल को जल्दी से जल्दी लागू किया जा सकता हैं.

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मानव संसाधन मंत्रालय इसको लेकर इसलिए भी उत्साहित है क्योकि 18 राज्य जिसमें कई कांग्रेस शासित राज्य भी हैं ने भी इसको लेकर अपनी सहमति पूरी तरह से व्यक्त कर दी है. कर्नाटक, तेलांगना समेत दो और राज्य इसक विरोध में हैं और कुल मिलाकर मंत्रालय के पास 22 राज्यों से जवाब आ चुके हैं. अब दूसरे बचे हुए राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों से जवाब आने बाकी हैं, लेकिन मंत्रालय सूत्रों के अनुसार ज्यादातर राज्य शिक्षा मंत्री नो डिटेंशन पालिसी को खत्म करने की मांग लंबे समय से कर कर रहें हैं.

अभी कुछ समय पहले सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड आफ एजूकेशन यानी केब की मीटिंग में 17 राज्यों से आए शिक्षा मंत्रियों ने तो बाकायदा खड़े होकर नो डिटेंशन पॉलिसी को तुरंत खत्म करने की मांग रख दी थी. सभी का यही मानना है कि इसके चलते न केवल बच्चे पढ़ाई में ध्यान नहीं दें रहे उनकी परफॉर्मेंस कम हो रही हैं बल्कि टीचर्स तक अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा रहे हैं.

कई राज्यों का ये भी सुझाव है कि 5वीं और 8वीं के एग्जाम शुरू हो लेकिन फेल होने वाले बच्चों को थोडे समय बाद दोबारा एग्जाम देने का मौका मिल सके. कई राज्य एग्जाम को 3वीं कक्षा से शुरू करने की मांग कर रहे हैं. तमाम प्रस्ताव का आकलन केब की ओर से गठित पांच सदस्यीय सब कमेटी कर चुकी हैं, पूरी रिपोर्ट तैयार की गई है और अब यही मंथन चल रहा है कि इसे लागू कैसे किया जाए.

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वैसे यदि एक बार 5वीं और 8वीं के एग्जाम शूरू हो जाते हैं तो 10वीं के बोर्ड के एग्जाम दोबारा शुरू होने की कवायद तेजी से शुरू होगी क्योंकि बहुत से राज्य इसकी भी मांग कर रहे हैं.

साल 2009 में बने राइट टू एजूकेशन एक्ट को एक अप्रैल 2010 को देशभर में लागू किया गया था, जिसके तहत 6 से 14 साल के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है और 8वीं तक उसे किसी भी क्लास में फेल नहीं किया जाए.

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