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पढ़ें नोटबंदी से बेहाल एक गांव की दास्तां

नोटबंदी पर लोगों का कहना है कि सिर्फ एक फीसदी भ्रष्टाचारी लोगों के लिए 99 फीसदी लोगों को क्यों परेशान किया जा रहा है. जो विदेशी बैंकों में काला धन रखे हैं, पहले उनको पकड़ा जाए. पहले नोटों का इन्तजाम तो करते, फिर एक हजार का नोट बंद करके दो हजार का नोट लाते.

बैन हुए हजार और पांच सौ के नोट बैन हुए हजार और पांच सौ के नोट
अहमद अजीम/सुरभि गुप्ता
  • इटावा,
  • 16 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 1:51 PM IST

हजार और 500 के नोट बंद होने के बाद दिल्ली और दूसरे बड़े शहरों में लोग एटीएम में लंबी-लंबी लाइनों से परेशान हैं. कहीं एटीएम काम कर रहे हैं, तो कहीं नहीं. बैंक में अपना पैसा जमा कराने के लिए भी लोग लाइनों में लगे हैं, लेकिन देश के छोटे शहरों और गांव में हालात काफी भी बदतर हैं.

जहां खराब हैं सारे एटीएम
यूपी के इटावा जिले में सोमवार को शहर का कोई भी एटीएम नहीं चल रहा था, सभी जगह एटीएम बंद थे. यहां एक परेशानी ये भी देखने को मिली कि 10 रुपये के सिक्के भी नहीं चल रहे. इटावा के एक गांव जरहौली, जो शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर है. गांव में जब लोगों से बात की गई तो पता कि इनकी मुश्किलें तो दिल्ली वालों से कहीं ज्यादा हैं. चम्बल के बीहड़ में बसे इस गांव के सबसे करीब जो बैंक है वो भी 10 किलोमीटर दूर है.

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पांच सौ के बदले मिल रहे 300
गांव के एक शख्स मोहनलाल ने ही अब तक दो हजार का नया नोट देखा है और उसे वो नोट नकली जैसा लगा. अभी तक नया नोट किसी को नहीं मिला है. गांव में बहुत कम लोगों का बैंक अकाउंट है और उनमें भी कुछ एक के पास ही एटीएम कार्ड है. गांव की खेतिहर मजदूर सुनीता ने बताया कि नया नोट ना मिलने से बहुत परेशानी हो रही है. किसान हर्विश सिंह गौतम ने कहा कि दुकानदार 500 के बदले 300 देते हैं. लोग नमक रोटी खाने को मजबूर हैं. सिर्फ एक फीसदी भ्रष्टाचारी लोगों के लिए 99 फीसदी लोगों को क्यों परेशान किया जा रहा है. जो विदेशी बैंकों में काला धन रखे हैं, पहले उनको पकड़ा जाए. पहले नोटों का इन्तजाम तो करते, फिर एक हजार का नोट बंद करके दो हजार का नोट लाते.

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खेती पर पड़ा रहा है असर
एक महिला मजदूर ने बताया कि मजदूरी करते हैं, पर पैसे नहीं मिल रहे और उधार भी नहीं मिल रहा. दशरथ सिंह नामक शख्स ने बताया कि सब्जी तक के लिए पैसे नहीं हैं, जो हैं, वो चलते नहीं हैं. 30 प्रतिशत घरों में ऐसा ही है. जुताई नहीं हो पा रही, ट्रैक्टर वालों को देने के लिए, खाद के लिए, बीज के लिए पैसे ही नहीं हैं, जिससे खेती बहुत प्रभावित हो रही है. एक और शख्स सतनारायण ने बताया कि खेती बहुत बुरे हाल में है. किसान महेंद्र सिंह का कहना है कि सरकार का ये फैसला गलत है. पहले काला धन रखने वाले बड़े लोगों को पकड़ते बाद में गरीबों के लिए करते. कुछ ही लोगों के पास यहां एटीएम है, लेकिन एटीएम मशीन चलती नहीं है.

कई लोगों के नहीं हैं बैंक खाते
गांव के एक शिक्षक ने बताया कि उनका बैंक में खाता है, पर एटीएम कार्ड नहीं है. पांच बार बैंक से वापस आ चुके हैं, टोकन मिल जाता है, लेकिन नंबर नहीं आ पाता. खेती करने वाले अमित कुमार ने बताया कि सरकार के इस फैसला का खेती पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है. वक्त पर बुआई नहीं हो पाएगी, पैसे की बहुत दिक्कत हो रही है और कहीं भी छुट्टे पैसे नहीं मिल रहे. किसान ने कहा कि ऐसा नहीं करना चाहिए था, उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी कुछ करेंगे. महिला दिहाड़ी मजदूर ने बताया कि उन्हें आखिरी बार दिवाली पर 250 रुपये दिहाड़ी मिली थी. अब वो भी नहीं मिल रहा और जो पैसा है, वो किसी काम का नहीं है. बैंक में अकाउंट नहीं है.

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