
जीएसटी अब एक राजनीतिक लड़ाई बन गया है. गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की कोशिश मोदी सरकार को जीएसटी और नोटबंदी के मुद्दे पर घेरने की कोशिश कर रही है. इस लड़ाई में यह देखना दिलचस्प है कि वह कांग्रेस जिसका जीएसटी लाने का सबसे ज्यादा योगदान है, आज इसका विरोध कर रही है, जबकि कभी जीएसटी के विरोध में खड़े नरेंद्र मोदी और बीजेपी इसे ऐतिहासिक सुधार बता रहे हैं.
कांग्रेस का है महत्वपूर्ण योगदान
जीएसटी एक ऐसा टैक्स रिफॉर्म है जिसके लिए गंभीर कोशिश साल 2003 से ही शुरू हो गई थी. साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में जब वित्त मंत्री जसवंत सिंह थे, तो वित्तीय सुधारों के लिए बनाए गए एक टास्क फोर्स के निष्कर्ष में जीएसटी का पहला स्वरुप सामने आया. लेकिन साल 2007 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अप्रैल 2010 से जीएसटी लागू करने की घोषणा की और एंपावर्ड कमिटी बनाकर सहमति के प्रयास शुरू किए गए. 2009-10 में तेरहवें वित्त आयोग ने अपनी सिफारिशों में जीएसटी के लिए गुंजाइश बनाई. 2011 में तत्कालीन वित्त मंत्री राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जीएसटी के लिए संविधान संशोधन बिल पेश किया. तब मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उन्होंने इसका तीखा विरोध किया था.
बीजेपी के विरोध के बीच यूपीए की सरकार जीएसटी बिल पर सहमति नहीं बना पाई और बिल लैप्स हो गया. वित्त मंत्री अरुण जेटली के नेतृत्व में नरेंद्र मोदी सरकार ने जीएसटी पर नए सिरे से प्रयास किए और आखिरकार 1 जुलाई 2017 इसे लागू कर दिया गया.
कांग्रेस अब कर रही विरोध
GST को लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल में कहा था, 'एक अच्छे आइडिया को बेहद खराब ढंग से लागू किया. इससे पूरे देश को नुकसान उठाना पड़ रहा है. नोटबंदी के टॉरपीडो के बाद जीएसटी दूसरा टॉरपीडो था, जिसने भारत की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त कर दिया. जीएसटी को बेहतरीन तरीके से लागू किया जा सकता था.
राहुल ने बताया गब्बर सिंह टैक्स
जीएसटी को लेकर कांग्रेस का विरोध इस चरम पर पहुंच गया है कि उसने इसका मजाक उड़ाना शुरू कर दिया. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने GST पर चुटकी लेते रहे हैं. राहुल ने GST को 'गब्बर सिंह टैक्स' बताया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की GST का मतलब 'जेनुइन सिंपल टैक्स' था. राहुल गांधी ने हाल में कहा था कि उसमें कारोबारियों की दिक्कतें दूर करने के सभी प्रावधान थे, लेकिन सरकार ने हमारी एक भी बात नहीं मानी. कांग्रेस एक टैक्स लगाना चाहती थी लेकिन सरकार 5-5 टैक्स लेकर आ गई. हम 18 फीसदी का कैप लगाना चाहते थे वह बात भी नहीं मानी गई और अब नतीजा ये हुआ कि कारोबारी जीएसटी से परेशान हुआ घूम रहा है. लोगों का बिजनेस ठप हो गया है.
राहुल ने कहा, 'आज हमें जीएसटी ना लागू होने के लिए दोषी करार दिया जाता है लेकिन जिस वक्त हम इसे पास करना चाहते थे, तब आज अहम पदों पर बैठे कई लोग हमारे विरोध में खड़े थे. राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी जिक्र करते हुए कहा कि उस वक्त मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उन्होंने जीएसटी का विरोध किया था.'
पीएम ने कांग्रेस को बताया भागीदार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में अपने गुजरात दौरे के दौरान कांग्रेस पर चौतरफा हमला बोला. जीएसटी पर कांग्रेस के विरोध पर मोदी ने कहा कि यह फैसला केंद्र सरकार ने अकेले नहीं लिया, बल्कि कांग्रेस भी इसमें बराबर की भागीदार रही है.
पीएम ने कहा, 'सरकार जीएसटी से संबंधित दिक्कतों को दूर करने के लिए लगातार काम कर रही है. हजारों बिजनसमैन अब इसके लिए रजिस्टर करा रहे हैं. विपक्ष बिना वजह जीएसटी की आलोचना कर रही है.'
कभी जीएसटी के विरोध में खड़े थे नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी जब गुजरात के तीसरी बार मुख्यमंत्री थे उन्होंने उद्योग-व्यवसाय के लिहाज गुजरात को देश के शीर्ष राज्यों में शुमार कर दिया था. कई जानकारों का मानना है कि नरेंद्र मोदी यह जानते थे कि राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत है, कई अन्य करों से उसकी कमाई हो रही है, लेकिन जीएसटी के लागू होने से संपन्न राज्यों को नुकसान होगा. इसलिए उन्होंने उस समय जीएसटी का विरोध किया था. उनके सुर में सुर मिलाते हुए बीजेपी शासित अन्य राज्यों ने भी किसी न किसी बहाने इसे लटकाने में अपना योगदान दिया था. तब गुजरात केंद्र की यूपीए सरकार द्वारा लाए जा रहे जीएसटी के विरोध में दूसरे राज्यों की अगुवाई कर रहा था.