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छोटी उम्र में बड़ा कारनामा करने वालों की फेहरिस्त में अब एक नया नाम दिव्यांश का शामिल हो गया है. पानीपत के दिव्यांश गुप्ता जब 7वीं कक्षा में थे तब उन्होंने अपनी पहली किताब लिख ली थी. आज महज 15 साल की उम्र में दिव्यांश 27 किताबें लिख चुके हैं और इस बाबत उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स में शामिल हो चुका है.
डीएवी थर्मल स्कूल में पढ़ने वाले दिव्यांश आगे चलकर इंजीनियर बनना चाहते हैं. गिनीज बुक में एक साल पूरा होने के मौके पर जल्द ही उन्हें 1 लाख 20 हजार रुपये मिलने वाले हैं. नियमों के मुताबिक, जब तक उनका रेकॉर्ड नहीं टूटता तब तक उन्हें हर साल यह रकम मिलेगी. दिव्यांश गुप्ता की लिखी 27 किताबों में से 18 किताबें रूपा पब्लिकेशन ने प्रकाशित की है.
पढ़ाई के लिए दिव्यांश को बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी और सिक्किम मणिपाल यूनिवर्सिटी ने फ्री एजुकेशन स्कॉलरशिप ऑफर किया है, जबकि लंदन और अमेरिका की कई यूनिवर्सिटी से भी इंजीनियरिंग की मुफ्त पढ़ाई का ऑफर है. दिव्यांश ने आईआईटी कानपुर की ओर से आयोजित एक प्रतियोगिता में दूसरा स्थान हासिल किया था. अपनी क्षमताओं के बारे में बात करते हुए दिव्यांश कहते हैं कि उन्हें बचपन से ही डायरी लिखने की आदत है और यहीं से उन्हें किताब लिखने की प्रेरणा मिली.