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गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सूबे की पूरी सियासत तीन युवाओं पर आकर टिक गई है. इसके पीछे एक वाजिब वजह भी है, क्योंकि ये सिर्फ तीन युवा नहीं हैं, बल्कि इनके साथ राज्य की तीन बड़ी जातियों का समर्थन भी है. यही वजह है कि पटेल नेता हार्दिक पटेल, ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी के विरोधी स्वरों से बीजेपी बैकफुट पर नजर आ रही है, वहीं कांग्रेस इन तीनों को साथ लेकर 22 साल के सियासी सूखे को खत्म करने की भरपूर कोशिश कर रही है.
इन तीनों युवा नेताओं को लेकर कांग्रेस इतनी सीरियस है कि अपने परंपरागत वोटरों को भी भूलती दिखाई दे रही है. राज्य में करीब 10 फीसदी मुसलमान आबादी है, मगर कांग्रेस और राहुल गांधी के प्रचार में अब तक इनका जिक्र तक नहीं किया गया है.
सिर्फ इतना ही नहीं, मौजूदा चुनाव में मुसलमान कांग्रेस के एजेंडे से भी डायवर्ट नजर आ रहा है. प्रदेश कांग्रेस के नेताओं में भी इस बात को लेकर चिंता है. गुजरात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बदरुद्दीन शेख ने Aajtak.in से बातचीत में अहम जानकारी दी है. उन्होंने बताया है कि मुसलमानों से दूरी बनाकर दरअसल कांग्रेस अपने छवि को बदलना चाहती है.
बदरुद्दीन शेख ने बताया कि बीजेपी हमेशा ये प्रचारित करती है कि मुस्लिम वोटर कांग्रेस के साथ हैं. शेख के मुताबिक, 'कांग्रेस इस बार इस छवि को धुलने की कोशिश कर रही है. यही वजह है कि राहुल गांधी जब गुजरात दौरे पर पहुंचे तो उन्होंने मंदिर जाकर भगवान के दर्शन भी किए'.
मुसलमानों को बातचीत के लिए नहीं बुलाया
कंग्रेस नेता बदरुद्दीन ने एक और अहम खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि हर चुनाव में कांग्रेस जमीयत उलेमा और जमात-ए इस्लामी जैसे इस्लामिक संगठनों को बुलाकर चुनाव में समर्थन की अपील करती थी. लेकिन इस बार अभी तक ऐसा नहीं किया गया है. शेख के मुताबिक, 'मैंने पार्टी से खुद इस बात की गुजारिश की है, मगर पार्टी की तरफ से अब तक किसी संगठन को बातचीत के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है'.
एक तरफ जहां कांग्रेस नेता खुद अपनी ही पार्टी पर मुसलमानों की अनदेखी का दावा कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाने वाले गुजरात के मशहूर कारोबारी जफर सरेशवाला ने भी कांग्रेस पर गंभीर इल्जाम लगाया है.
सरेशवाला के मुताबिक कांग्रेस ये मानकर चलती है कि मुस्लिम वोट उनके अलावा किसी और को नहीं जाएगा. यही वजह है कि कांग्रेस मुसलमानों की उपेक्षा कर रही है.
दरअसल, जमीनी हकीकत देखें तो ऐसा साफ नजर आ रहा है. राहुल गांधी ने जब गुजरात का दौरा किया तो वह द्वारकाधीश मंदिर गए. जहां उन्होंने न सिर्फ मत्था टेका, बल्कि वो तिलक लगाकर भाषण देते हुए भी नजर आए. दूसरी अहम बात ये है कि कांग्रेस इन तीन युवाओं पर इसलिए भी ज्यादा फोकस कर रही है क्योंकि वोट प्रतिशत में वो मुसलमानों से कहीं ज्यादा है. साथ ही गुजरात दंगों के बाद कांग्रेस सोनिया गांधी के मौत का सौदागर जैसे बयान भी उनके खिलाफ गए हैं. यही वजह है कि कांग्रेस फूंक-फूंककर कदम रख रही है और उसके नेताओं के भाषणों और एजेंडे से मुसलमान ओझल नजर आ रहे हैं.