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उत्तर गुजरात कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता है. मोदी लहर में कांग्रेस उत्तर गुजरात में जीत का परचम लहराती रही है. इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए बीजेपी से कहीं ज्यादा उसके बागी सिरदर्द बने हुए हैं. कांग्रेस के 19 बागियों ने चुनावी मैदान में उतरकर कांग्रेस के सत्ता में वापसी की राह में रोड़ा बन गए हैं.
नॉर्थ गुजरात में कांग्रेस के 16 बागी
उत्तर गुजरात में 16 बागी कांग्रेस के खिलाफ मैदान में हैं और उन्होंने पार्टी के अधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ अपना नामांकन वापस नहीं लिया है. इससे कांग्रेस का समीकरण बिगड़ता हुआ नजर आ रहा है.
उत्तर गुजरात में छह जिले आते हैं, इनमें गांधीनगर, बनासकांठा, साबरकांथा, अरवली, मेहसाना और पाटन. इनमें जिलों में कुल 32 विधानसभा सीटें है. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उत्तर गुजरात में आधी से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रही है. कांग्रेस ने 32 सीटों में से 17 सीटें और बीजेपी ने 15 सीटों पर जीत हासिल की थी. बता दें कि कांग्रेस ने कुछ सीटें तो बहुत कम मतों से जीत दर्ज की थी. ऐसे में पार्टी के बागी उम्मीदवार के उतरने से कांग्रेस के लिए मुसीबत बढ़ गई है.
सबसे ज्यादा मुसीबत बनासकांठा में
कांग्रेस के लिए सबसे ज्यादा चुनौती उत्तर गुजरात के बनासकांठा जिले में है. कांग्रेस के सामने यहां पांच विधानसभा सीटों पर बागी मैदान में हैं. इनमें थारद, वडगाम, देसा, देवदार और कंकरेज निर्वाचन क्षेत्र शामिल हैं.
थारम में कांग्रेस ने बीडी राजपूत को मावजीभाई पटेल के जगह मैदान में उतारा है. जबकि 2012 में मावजी पटेल बीजेपी के परबातभाई पटेल से 3473 वोटों से हारे थे. इस मावजीभाई पटेल बागी के रूप में मैदान में हैं उन्होंने अपने नाम वापस लेने से इनकार कर दिया है.
जिग्नेश के खिलाफ दो कांग्रेसी बागी
इस तरह कांग्रेस के समर्थन से उतरे जिग्नेश मेवाणी के लिए वाडगाम विधानसभा सीट पर है. मेवाणी के खिलाफ कांग्रेस के दो बागी मैदान में है. अश्विन परमार और बालकृष्ण जिरावल हैं. दिलचस्प बात ये हैं कि वाडगाम कांग्रेस के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है. पिछले चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट को 21000 मतों से जीत दर्ज की थी.
गुजरात के सियासी रण में सौराष्ट्र में जहां पहले चरण में मतदान है तो वहीं उत्तर गुजरात दूसरे चरण का सबसे अहम क्षेत्र माना जाता है.