
गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के मंदिर दौरों को लेकर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. एक तरफ जहां बीजेपी नेता राहुल के मंदिर जाने को चुनावी स्टंट बता रहे हैं, वहीं कुछ नेता उन पर निजी हमले भी कर रहे हैं. इसी कड़ी में अब बीजेपी सांसद और अभिनेता परेश रावल भी कूद आए हैं.
परेश रावल ने सोमवार को एक ट्ववीट किया. इस ट्ववीट में उन्होंने राहुल के मंदिर जाकर मत्था टेकने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मत्था टेकने को अलग बताने की कोशिश की.
ये है परेश रावल का ट्वीट
ट्ववीट में परेश रावल ने लिखा है, ' राहुल जी, नरेंद्र मोदी जी सिर्फ मंदिरों में ही माथा नहीं टेकते, उन्होंने तो संसद भवन की सीढ़ियों पर भी माथा टेका था! तो हो जाये? परेश रावल ने अपने इस ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी टैग किया है. बीजेपी सांसद के इस ट्वीट को राहुल गांधी के लिए चैलेंज के रूप में समझा जा रहा है.
सांसद चिंतामणि ने दिया था विवादित बयान
इससे पहले मध्यप्रदेश के उज्जैन से बीजेपी सांसद चिंतामणि मालवीय ने राहुल गांधी को लेकर विवादित बयान दिया था. राहुल गांधी इन दिनों गुजरात दौरे पर हैं और लगातार मंदिरों के दर्शन कर रहे हैं. इसे लेकर बीजेपी सांसद मालवीय ने कहा कि राहुल गांधी धार्मिक हो गए हैं ये खुशी की बात है लेकिन वह गुजरात के मंदिरों में ही क्यों जा रहे हैं, कभी कश्मीर, केरल, और कर्नाटक के मंदिरों में क्यों नहीं जाते.
चिंतामणि मालवीय ने ये भी कहा था, 'सवाल उठता है कि राहुल गांधी की धार्मिकता सच्ची है या कुछ दिनों के लिए दिखावा मात्र है. कहीं ये धर्मनिरपेक्षता वैसे ही तो नहीं जैसा कि सुनते आए हैं कि वेश्या ही सबसे ज्यादा धर्मनिरपेक्ष होती है, मन में प्रश्न आता है कि राहुल गांधी की धर्म निरपेक्षता वेश्या जैसी तो नहीं.'
बता दें कि राहुल गांधी ने गुजरात नवसृजन यात्रा की शुरुआत ही द्वारकाधीश मंदिर से की थी. इसके बाद वो इसी हफ्ते जब बनासकांठा और पाटन के दौरे पर गए तो उन्होंने गांधीनगर में अक्षरधाम मंदिर से यात्रा की शुरुआत की. कांग्रेस कह भी चुकी है कि भक्ति पर सिर्फ बीजेपी का पेटेंट नहीं है. ऐसे में चुनावी माहौल में राहुल के इस बदले रूप को एक तरफ जहां कांग्रेस की सॉफ्ट हिंदुत्व स्ट्रैटेजी के तौर पर देखा जा रही है, वहीं बीजेपी के लिए चिंता का सबब भी समझा जा रहा है.